September 22, 2024

महिला की जमानत के लिए सपा नेता ने लगाए फर्जी दस्तावेज, पुलिस ने किया मुकदमा दर्ज

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आगरा
सपा नेता विकास यादव ने जेल में बंद परिचित महिला की जमानत के लिए फर्जी दस्तावेज लगा दिए। उसे जमानत भी दिलवा दी। मामले में वादी पक्ष द्वारा शिकायत करने पर जांच हुई तो फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो गया। सपा नेता के खिलाफ न्यू आगरा थाने धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। जमानत पर बाहर आई आरोपित महिला को गिरफ्तार कर दोबारा जेल भेज दिया गया है।

ये था मामला
न्यू आगरा थाने में अधिवक्ता राजन लाल की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। जिसमें जगदीशुपरा के लवकुश विहार कांप्लेक्स निवासी पूजा उप्रैती और विकास यादव को नामजद किया है। दर्ज मुकदमे के अनुसार पूजा के खिलाफ उसके पति कृष्ण दत्त उप्रैती ने वर्ष 2021 में जगदीशपुरा थाने में धोखाधड़ी व कूट रचित दस्तावेज तैयार करने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने जुलाई 2021 में आरोपित पूजा उप्रैती को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उक्त मुकदमा सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में चल रहा है।

महिला की पैरवी कर रहा था सपा नेता
कृष्ण दत्त उप्रैती की ओर से मुकदमे की पैरवी अधिवक्ता राजन लाल कर रहे हैं। अदालत से पूजा की जमानत खारिज होने पर सपा नेता उच्च न्यायाालय में जमानत याचिका प्रस्तुत की। जिसमें शपथ पत्र दिया कि वह पूजा के केस की पैरवी कर रहा है। उच्च न्यायालय ने 27 जनवरी को अारोपित पूजा को जमानत दे दी। विकास यादव ने दो जमानतदार के दस्तावेज लगाए थे। जिस पर आरोपित 15 फरवरी को जेल से रिहा हो गई।

अदालत ने जांच कराई तो फर्जी निकले कागज
वादी द्वारा अदालत में फर्जी दस्तावेजों से जमानत लेने की शिकायत की गई थी। अदालत ने जांच कराई तो जमानतदार फर्जी निकले।अदालत ने 24 अगस्त काे जमानत निरस्त कर आरोपित पूजा को दोबारा जेल भेज दिया। फर्जी दस्तावेजों से जमानत कराने वाले विकास यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही के निर्देश दिए। इंस्पेक्टर न्यू अागरा विजय विक्रम सिंह ने बताया कि अधिवक्ता की तहरीर पर विकास यादव के खिलाफ धोखाधड़ी, कूट रचित दस्तावेज तैयार करने अादि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। विवेचना की जा रही है, साक्ष्य संकलन किया जा रहा है।

सादाबाद थाने और तहसील से दी गई थी रिपोर्ट
विकास यादव ने जमानत के लिए जो दस्तावेज लगाए, वह सादाबाद के सहपऊ के जमानदाराें के थे। अदालत ने दस्तावेजों के फर्जी होने की शिकायत पर उनका सत्यापन कराया। जांच में पता चला कि जिस नाम-पते के लोगों के दस्तावेज लगाए गए, उस नाम-पते के कोई व्यक्ति नहीं मिले। जमानतदारों के सत्यापन की रिपोर्ट सादाबाद थाना और तहसील की आेर से दी गई थी।

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