November 29, 2024

एलएसी पर 10 हजार और सैनिक तैनात, चीन ने कहा- इससे तनाव कम नहीं होगा

0

नई दिल्ली
 भारत ने चीन के साथ अपनी विवादित सीमा को मजबूत करने के लिए 10 हजार अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है। यह जवान वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन सीमा के 532 किमी. हिस्से की रक्षा करेंगे। चीन ने सीमा पर भारतीय सेना बढ़ाने की आलोचना करते हुए कहा कि इससे तनाव कम नहीं होगा।

भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने निजी चर्चा के बाद सीमा पर 10 हजार सैनिकों की संख्या बढ़ाने के फैसले को लागू किया है। एक वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारी ने कहा कि देश की पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान) पर तैनात सैनिकों की 10 हजार मजबूत इकाई को अब चीन के साथ सीमा के एक हिस्से की रक्षा के लिए अलग रखा गया है। इसके अलावा विवादित चीनी सीमा के लिए पहले से ही नामित 9,000 सैनिकों की मौजूदा टुकड़ी को नवनिर्मित लड़ाकू कमान के तहत लाया जाएगा। यह संयुक्त बल 532 किमी. (330.57 मील) की सीमा की रक्षा करेगा, जो चीन के तिब्बत क्षेत्र को भारत के उत्तरी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से अलग करती है।

हालांकि, भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन एक ब्रीफिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि चीन के साथ अपनी विवादित सीमा पर और अधिक सैनिकों को जोड़ने का भारत का कदम तनाव कम करने के लिए अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत ने चीन के साथ अपनी विवादित सीमा पर हजारों सैनिकों को तैनात किया है, जिससे बीजिंग के साथ उसके पहले से ही तनावपूर्ण संबंध और बढ़ने की संभावनाएं पैदा हो गई हैं। दूसरी तरफ, सीमा के इस हिस्से में सैनिकों की तोपखाने और हवाई समर्थन के साथ अभूतपूर्व तैनाती इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्व और भारत की नजर में एलएसी की बढ़ती संवेदनशीलता को उजागर करती है।

भारत और चीन के बीच मई, 2020 से शुरू हुए सीमा गतिरोध के बाद भारत ने चीन के साथ अपनी सीमा पर गश्त करने के लिए अतिरिक्त 50 हजार सैनिकों को तैनात किया। इस बीच जून, 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ घातक सीमा संघर्ष में कम से कम 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे, जिसके बाद दोनों पक्षों के संबंध गंभीर रूप से तनावपूर्ण हो गए थे। चीन और भारत ने तब से एलएसी के आसपास सैन्य-संबंधित बुनियादी ढांचे को उन्नत किया है। इतना ही नहीं, दोनों पक्षों की ओर से सीमा पर अधिक सैनिकों की तैनाती करने के अलावा मिसाइलों, तोपखाना रेजिमेंटों और विमानों को भी अपनी-अपनी सीमा के भीतर ले जाया गया है।

भारत के रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने पिछले महीने एक व्यावसायिक कार्यक्रम में परमाणु हथियारबंद पड़ोसियों के बीच सीमा संघर्ष का जिक्र करते हुए संभावना जताई थी कि हमारे सामने कभी भी 2020 जैसी नौबत आ सकती है, इसलिए हमें हर समय सक्रिय रहना पड़ता है। उन्होंने भी माना कि गलवान घाटी की हिंसक घटनाओं के बाद भारत और चीन के बीच संबंध ज्यादा खराब हुए और तब से उनमें कोई खास सुधार नहीं हुआ है। दोनों देशों के बीच अब तक सैन्य और राजनयिक वार्ता के 21 दौर हो चुके हैं। संबंध सुधरते न देख सरकार ने भारत में चीनी निवेश और उद्यम को हतोत्साहित करने के लिए कानून भी पारित किया है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed