विपक्ष के बगैर लोकतंत्र निराकार
विपक्ष के बगैर लोकतंत्र निराकार
राष्ट्रीय संसदीय पीठ में विपक्ष की भूमिका पर हुई प्रतियोगिता
भोपाल
भोपाल के पं. कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ में आज “क्या संसदीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिये मजबूत विपक्ष अनिवार्य’’ विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई। प्रतियोगिता का उद्घाटन माधव राव सप्रे संग्रहालय के विजय दत्त श्रीधर ने किया।
इस मौके पर पत्रकार विजय दत्त श्रीधर ने कहा कि विपक्ष न हो, तो लोकतंत्र निराकार हो जाता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष का सजग और मजबूत होना आवश्यक है। प्रतियोगिता के विशिष्ट अतिथि डॉ. एन.के. थापक ने अपने उद्बोधन में कहा कि लोकतंत्र हमें विरोध करने का अधिकार देता है, लेकिन विरोध करने के पहले यह आवश्यक है कि विरोध क्यों किया जा रहा है, इसे समझा जाये। विरोध का आधार क्या है। बिना आधार के विरोध करना स्वस्थ लोकतंत्र के लिये गलत होता है। कार्यक्रम को निर्णायकगण विनय अग्रवाल और के.बी. पंडा ने भी संबोधित किया। इस मौके पर विद्यापीठ की पहली बार प्रकाशित पत्रिका “संसदीय सलिला’’ वितरित की गई। संचालक संसदीय पीठ डॉ. प्रतिमा यादव ने संस्थान की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
प्रतियोगिता में 13 महाविद्यालयों के 26 प्रतिभागियों द्वारा विषय के पक्ष एवं विपक्ष में अपेन विचार व्यक्त किये गये। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सरोजनी दुबे द्वारा किया गया। पं. कुंजीलाल दुबे पीठ संसदीय कार्य विभाग के अंतर्गत संचालित हो रही है।