लग्जरी कार जलने पर उसकी जिम्मेदारी से बचने वाली बीमा कंपनी को अब हर्जाने के रूप में 24.83 लाख रुपये चुकाने होंगे
भोपाल
लग्जरी कार जलने पर उसकी जिम्मेदारी से बचने वाली बीमा कंपनी को अब हर्जाने के रूप में 24.83 लाख रुपये चुकाने होंगे। दरअसल आउडी कार के जलने के बाद बीमा कंपनी यह कहते हुए हर्जाना देने से इंकार कर दिया कि हमारी जांच के अनुसार उपभोक्ता ने कार में आग खुद ही लगाई होगी। कार मालिक ने उपभोक्ता आयोग की शरण ली जिसके बाद आयोग ने कंपनी के दावे को गलत ठहराते हुए उपभोक्ता को हर्जाना देने के निर्देश दिए। जहांगीराबाद निवासी अलमास सिद्धिकी ने जिला उपभोक्ता आयोग में इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमि के शाखा प्रबंधक के खिलाफ 2020 में याचिका लगाई थी। कार मालिक सिद्दकी ने शिकायत की थी कि उसने आउडी कार 32 लाख रुपये में खरीदी थी।
कार का बीमा भी कराया था। रास्ते में जाते हुए कार के डैशबोर्ड से धुआं निकलने लगा । इसके बाद वे वाहन से बाहर निकल गए और कुछ देर में देखते-देखते कार में आग लग गई। कुछ ही देर में कार पूरी तरह जलकर खाक हो गई।उपभोक्ता ने 32 लाख रुपये में चार पहिया वाहन एचडीएफसी बैंक से 30 हजार रुपये में फायनेंस कराया था। उसने वाहन का 30 लाख रुपये में 10 अगस्त 2018 से नौ अगस्त 2019 तक के लिए बीमा कराया था। सात माह बाद उपभोक्ता की कार में आग लग गई और पूरी तरह जलकर खाक हो गई, लेकिन बीमा कंपनी ने बीमा राशि देने से इंकार कर दिया।
बीमा कंपनी ने कहा-जानबूझकर आग लगाई गई
बीमा कंपनी ने मामले में फारेंसिक जांच रिपोर्ट भी सौंपी थी। इसमें लिखा था कि आग जानबूझकर बाहर से लगाई गई थी, लेकिन इसे साबित नहीं कर पाए कि आग बाहर से लगी है। कंपनी की ओर से सर्वेयर ने 24.73 लाख की क्षति वाहन में बताई, लेकिन बीमा कंपनी बीमा राशि देने से इंकार कर दिया। साथ ही आयोग ने बीमा कंपनी के तर्क को खारिज कर दिया और बीमा राशि देने का आदेश दिया। मामले में आयोग की अध्यक्ष गिरिबाला सिंह, सदस्य अंजुम फिरोज व अरूण प्रताप सिंह ने बीमा कंपनी को 24.73 लाख रुपये सहित मानसिक क्षतिपूर्ति राशि 10 हजार रुपये भी देने के आदेश दिया।