September 25, 2024

दिल्ली हाईकोर्ट ने आईपीआर का उल्लंघन करने वाले तीन कथित साइबरलॉकर वेबसाइटों से कॉपीराइट कंटेंट हटाने का आदेश दिया

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नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नेटफ्लिक्स, अमेज़ॅन और यूनिवर्सल सिटी स्टूडियो सहित प्रमुख एंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्मों के बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) का उल्लंघन करने वाले तीन कथित साइबरलॉकर वेबसाइटों से कॉपीराइट कंटेंट हटाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने निर्देश जारी करते हुए साइबरलॉकरों से उन फंकशन्स को समाप्त करने के लिए कहा है जो कॉपीराइट कंटेेट को हटाने के बाद भी उन्हें फिर से अपलोड करने की अनुमति देते हैं।

वार्नर ब्रदर्स एंटरटेनमेंट, अमेज़ॅन कंटेंट सर्विसेज, कोलंबिया पिक्चर्स इंडस्ट्रीज, डिज़नी एंटरप्राइजेज, नेटफ्लिक्स यूएस, पैरामाउंट पिक्चर्स कॉर्पोरेशन, यूनिवर्सल सिटी स्टूडियोज़ प्रोडक्शंस और ऐप्पल वीडियो प्रोग्रामिंग के एक संघ द्वारा कॉपीराइट उल्लंघन के मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह आदेश दिया। मामले में डूडस्ट्रीम डॉट कॉम, डूडस्ट्रीम डॉट को, और डूड डॉट स्ट्रीम वेबसाइटों को तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित उनके संचालक के साथ प्रतिवादी बनाया गया है। वादी ने याचिका में इन वेबसाइटों और उनके ऑपरेटरों को किसी भी ऐसे सिनेमैटोग्राफ़िक उत्पाद या कंटेंट वितरित करने या उपलब्ध कराने से रोकने के लिए एक स्थायी निषेधाज्ञा का अनुरोध किया था, जिस पर वादी का कॉपीराइट है।

शिकायत के अनुसार, इन साइबरलॉकर वेबसाइटों पर कॉपीराइट सामग्री की अनधिकृत होस्टिंग, स्ट्रीमिंग, डाउनलोडिंग और अपलोडिंग को प्रोत्साहित करने के लिए जानबूझकर डिज़ाइन किया गया एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने कहा कि आरोपी वेबसाइटों ने यूजरों को साइन इन करने और कंटेंट अपलोड करने के लिए एक व्यक्तिगत डैशबोर्ड की अनुमति देकर कॉपीराइट कंटेंट अपलोड करने में मदद की। बचाव पक्ष के वकील ने अदालत को वादी के अधिकारों का उल्लंघन करने वाले सभी कॉपीराइट कंटेंट को पूरी तरह हटाने का आश्वासन दिया। इसके अलावा, अदालत ने प्रतिवादियों से उनकी वेबसाइटों की शुरुआत से लेकर अब तक के राजस्व आंकड़ों का खुलासा करने को कहा है। निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, अदालत ने वादी एंटरटेनमेंट कंपनियों को उनके कॉपीराइट कंटेंट को हटाने की निगरानी करने की अनुमति दी है, जिससे उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके और उल्लंघनकारी लिस्टिंग की प्रभावी ढंग से निगरानी की जा सके।

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