नगर पालिका-परिषदों को निर्देश, अवैध निर्माण की मार्किंग कर करें कार्रवाई
भोपाल
प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में अवैध निर्माण और अनुमति से अधिक किए गए निर्माण पर सरकार सख्त कार्यवाही करने जा रही है। आयुक्त नगरीय प्रशासन ने सभी नगर निगम आयुक्तों और सभी नगर पालिका परिषद और नगर परिषदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देशित किया है कि 20 सितंबर तक ऐसे अवैध निर्माण चिन्हित कर नियमानुसार कार्यवाही करे। प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में भवन निर्माण के लिए प्राप्त आवेदनों पर आयुक्त नगर निगम द्वारा भवन निर्माण की अनुमति प्रदान की जाती है। इसमें ग्राम निवेश अधिनियम और मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम के प्रावधानों का पालन किया जाना अनिवार्य होता है। भवन निर्माण अनुमति एवं स्वीकृत मानचित्र के अनुसार भवन निर्माण करने और निर्माण पूर्ण होने पर अधिनियम की धारा 301 के तहत पूर्णता प्रमाणपत्र और भवन में रहने की अनुमति लेना भी जरूरी है।
कमिश्नर निकुंज ने जताई नाराजगी
यह देखने में आ रहा है कि नगर निगम क्षेत्र में कई ऐसे भवन निर्मित है या निर्माणाधीन है जिनमें स्वीकृत एफएआर से अधिक एवं स्वीकृत मानचित्र के विपरीत निर्माण किया गया है, परन्तु अधिनियम में पर्याप्त प्रावधान होने पर भी नगर निगम के अधिकृत अमले द्वारा उस समय कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। जिससे इस तरह के निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है।
इसके अलावा भवन निर्माण पूर्ण होने पर भवन निर्माण पूर्णता प्रमाणपत्र एवं अधिवास की अनुमति प्राप्त किए बिना ही भवनों को उपयोग में लाया जा रहा है जो अधिनियम के विपरीत है। नियमों के विपरीत निर्मित भवन और इनके अनाधिकृत उपयोग से अग्नि दुर्घटनाओं के भीष्ण होने की संभावना भी रहती है। इस पर कमिश्नर निकुंज श्रीवास्तव ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि इस प्रकार के अवैध निर्माण को निर्माण के समय ही रोकने के लिए अधिनियम की धारा 302 में प्रावधान है।
अवैध अथवा अनुमति के अतिरिक्त निर्माण को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए यह जरूरी है कि नगर निगम क्षेत्र में ऐसे निर्माणाधीन भवनों विशेषकर बहुमंजिला एवं ऊंचे भवनों को तत्काल चिन्हित किया जाए, जिनमें भवन निर्माण अनुमति और स्वीकृत मानचित्र के विपरीत अथवा बिना अनुमति के भवन निर्माण किया जा रहा है।