स्कूलों में शौचालयों की खराब स्थिति पर Bombay HC ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार, मांगा जवाब
मुंबई
बाम्बे हाइकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को राज्य के स्कूलों में शौचालयों की खराब स्थिति पर फटकार लगाई है। उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि पूरे राज्य के स्कूलों में शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने राज्य सरकार से पूछा कि क्या वह शक्तिहीन है या इस मुद्दे पर नीति बनाने के लिए किसी शुभ दिन की प्रतीक्षा कर रही है। जस्टिस प्रसन्ना वरले और जस्टिस शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने कहा कि वह इस दयनीय स्थिति से आहत हैं।
छात्राओं को होती है अधिक समस्याएं
अदालत कानून की दो छात्राओं निकिता गोर और वैष्णवी घोलवे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रभावी मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन को लागू नहीं करने पर चिंता जताई गई थी। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं और विशेष रूप से किशोर लड़कियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। याचिका में सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कियों के लिए गंदे और अस्वच्छ शौचालयों और शौचालयों के मुद्दे को भी इंगित किया गया है।
235 स्कूलों का किया गया था सर्वेक्षण
इस साल जुलाई में अदालत के आदेश के अनुसार, महाराष्ट्र जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (MDLSA) ने मुंबई शहर, उपनगरों और पड़ोसी जिलों के स्कूलों का सर्वेक्षण किया और सोमवार को अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी गई। रिपोर्ट के अनुसार, 235 स्कूलों का सर्वेक्षण किया गया, जिनमें से 207 स्कूलों में शौचालयों की स्थिति मानकों से नीचे पाई गई। रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हाइकोर्ट ने कहा कि स्कूलों में शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है।
सरकार से मांगा जवाब
जस्टिस वरले ने मुंबई उपनगर जैसे शहरी क्षेत्रों के और स्कूलों के बारे में जानना चाहा। न्यायालय ने कहा कि अगर शहरी क्षेत्रों में यह स्थिति है, तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति की कल्पना कीजिए। राज्य सरकार के शिक्षा अधिकारी क्या कर रहे हैं? क्या यह सरकारी अधिकारियों का कर्तव्य नहीं है कि वे समय-समय पर जांच करते रहें। अदालत ने जानना चाहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर नीति क्यों नहीं बना रही है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं और राज्य सरकार को रिपोर्ट का अध्ययन करने का निर्देश दिया और मामले को 4 सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए टाल दिया।