November 25, 2024

कब मनाये राम नवमी 16 या 17 अप्रैल को जानें

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सनातन धर्म में भगवान श्री रामचंद्र जी के प्रति संपूर्ण लोगों की अटूट श्रद्धा तथा भक्ति है। रामनवमी का पावन पर्व भगवान श्री राम को समर्पित है। यह खास पर्व भगवान श्री रामचंद्र जी के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पावन पर्व मनाया जाता है।

जगत के पालनहार भगवान श्री रामचंद्र जी की कृपा पाने के लिए समस्त श्रद्धालु रामनवमी पर विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता के मुताबिक इस दिन को भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 को 17 अप्रैल को रामनवमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं रामनवमी की पूजा विधि, मुहूर्त तथा योग के बारे में-

हिंदू पंचांग के मुताबिक चैत्र मास की नवमी तिथि 16 अप्रैल दिन मंगलवार दोपहर 1:23 मिनट से प्रारंभ होगी और इसकी अगले दिन 17 अप्रैल दिन बुधवार को दोपहर 3:15 मिनट पर समाप्ति होगी। उदया तिथि के मुताबिक मुख्य रूप से रामनवमी का पावन पर्व 17 अप्रैल को मनाया जाएगा।

रामनवमी 2024 पर शुभ योग
इस वर्ष रामनवमी के पावन पर्व पर बेहद ही महत्वपूर्ण योग रवि का बन रहा है। रवि योग अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में सूर्य का प्रभाव होता है। इस कारण से यह पूजा अर्चना के लिए बहुत ही मूल्यवान साबित होता है। इस समय पूजा अर्चना करने से रोग दोष कष्ट से मुक्ति मिलती है।

रामनवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार 17 अप्रैल दिन बुधवार को प्रातः काल 11:10 मिनट से दोपहर 1:43 मिनट तक रामनवमी का कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं रहेगा।
विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 34 मिनट से 3 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
गोधूलि मुहूर्त सायं काल 06:47 से प्रारंभ होकर सायं 7:09 तक रहने वाला है।
रवि योग रामनवमी के पूरे दिन रहेगा।

भगवान श्री रामचंद्र के जन्मोत्सव रामनवमी को हिंदू धर्म में बड़े ही हर्ष उल्लास तथा धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस दिन भगवान श्री राम की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। आप अपने निज निवास पर भी भगवान श्री राम की पूजा अर्चना कर सकते हैं। सर्वप्रथम पूजा के लिए एक लकड़ी की चौकी लें। इसके पश्चात उस चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएँ। फिर राम परिवार जिसमें राम, लक्ष्मण, माता सीता और हनुमान जी शामिल हो ऐसी प्रतिमा या फिर तस्वीर की स्थापना करें। चंदन या रोली से तिलक लगाएँ। अक्षत फूल ,पूजन सामग्री इत्यादि चरणों में अर्पित करें। घी का दीपक अवश्य जलाएँ और विधि विधान से सच्ची श्रद्धा से भगवान श्री राम की आरती करें। राम रक्षा स्त्रोत श्री राम चालीसा तथा रामायण के चौपाइयों का पाठ करें। इस दिन ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है।

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