कन्याकुमारी से शुरू होगी कांग्रेस की 3570 किमी लंबी ‘भारत जोड़ो यात्रा’, तीन बड़ी चुनौतियां
नई दिल्ली
'भारत जोड़ो यात्रा' को लेकर कांग्रेस नेताओं ने कमर कस ली है। उन्हें उम्मीद है कि यह पदयात्रा 2024 के चुनाव में बेहद अहम साबित होगी। वहीं इस यात्रा के जरिए एक बार फिर राहुल गांधी को लॉन्च करने की कोशिश की जा रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना के जरिए यह बताने की कोशिश होगी कि देश में कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जो कि राष्ट्र को जोड़ सकती है। 35 हजार किलोमीटर की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यह यात्रा आसान नहीं है। इसके सामने कई चुनौतियां भी हैं।
अध्यक्ष पद का चुनाव
यात्रा की अवधि में ही दो ऐसे कार्यक्रम भी हैं जो कि यात्रा में रुकावट पैदा कर सकते हैं। पहला है कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव और दूसरा गुजरात व हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के नेताओं को अध्यक्ष पद के चुनाव की चिंता इसलिए नहीं है क्योंकि उस दौरान यात्रा कर्नाटक में होगी और पार्टी बेंगलुरु पहुंचकर वोट डालने की सुविधा देगी।
वहीं 'जी-23' इस दौरान भी चुनौती बन सकता है क्यंकि इस दौरान उनके लिए अपनी विचार रखने का सबसे सही समय होगा। पिछली बार भी जब कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की तभी गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने की भी खबर आ गई। वहीं जब कांग्रेस ने दिल्ली में महंगाई के खिलाफ हल्लाबोल रैली की तो उससे एक दिन पहले ही गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में बड़ी जनसभा की। चर्चाएं ये भी थीं कि शशि थरूर अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करेंगे। सूत्रों का यह भी कहना है की जी 23 में से कोई एक नेता नामांकन कर सकता है। वहीं कांग्रेस पार्टी के कई नेता राहुल गांधी को मनाने में लगे हैं कि वह ये जिम्मेदारी लें।
रूट को लेकर क्या है दिक्कत
जिस रूट से होकर यह यात्रा जानी है उसमें कई ऐसी जगहें भी हैं जो कि छूट रही हैं। उदाहरण के तौर पर यह यात्रा राजस्थान होकर जाएगी जहां कांग्रेस की सरकार है। हरियाणा और पंजाब की बात करें तो यह केवल अंबाला जाएगी जबकि तथ्य यह है कि अब भी हरियाणा कांग्रेस की पहुंच से दूर है। ओडिशा और नॉर्थईस्ट में भी यह यात्रा बहुत कुछ छोड़ रही है। इतिहास की बात करें तो जितनी अहम यात्राएं हुई हैं उनमें चुनौतीपूर्ण जगहें जरूर शामिल रही हैं लेकिन कांग्रेस की यह यात्रा सहूलियत को ध्यान में रखकर होनी है।
गुजरात और हिमाचल चुनाव
श्रीपेरुंबुदुर से यह यात्रा शुरू होगी। यही वह जगह है जहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की गई थी। रात में राहुल गांधी एक मोबाइल कंटेरन में सोएंगे। वहीं राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता होंगे। इसके अलावा उनके साथ 117 वॉलंटियर होंगे जो कि अलग-अलग राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे। हालांकि गुजरात और हिमाचल चुनाव के दौरन राहुल गांधी को ब्रेक भी लेना होगा।
चिंता की बात यह है कि अगर यात्रा के बीच में ही कांग्रेस चुनाव हार जाती है तो इसका असर यात्रा पर भी जरूर पड़ेगा। समस्या यह भी है कि जब इस यात्रा में केवल पार्टी के नेताओं को शामिल किया गया है तो क्या अन्य लोग अपनी इच्छा से इसमें शामिल होंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य सफल नहीं हो पाएगा।