युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन पर US में भारतीय मूल की छात्रा गिरफ्तार, यूनिवर्सिटी ने भी लगाया बैन
वॉशिंगटन
अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में गाजा में चल रही जंग के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। यूनिवर्सिटी कैंपस में चल रही उथल-पुथल के बीच भारतीय मूल की छात्रा अचिंत्या शिवलिंगन को गिरफ्तार किया गया है। प्रिंसटन विश्वविद्यालय ने भी अचिंत्या पर कार्रवाई करते हुए उनकी कैंपस में एंट्री बैन कर दी है। इजरायल विरोधी और फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शनों का हिस्सा बनने के चलते अचिंत्या पर ये कार्रवाई हुई है। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डेली प्रिंसटोनियन ने बताया कि मूल रूप से भारत के कोयंबटूर से आने वालीं और कोलंबस की रहने वाली अचिंत्या शिवलिंगन को प्रदर्शन में शामिल होने की वजह से अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा है और उनको कैंपस में आने से रोक दिया गया है। अनुशासनात्मक प्रक्रिया लंबित होने तक उन पर प्रतिबंध लगाया गया है।
डेली प्रिंसटोनियन के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन गुरुवार सुबह मैककोश कोर्टयार्ड में फिलिस्तीन समर्थक शिविर से शुरू हुआ। ये ग्रुप प्रिंसटन के अधिकारियों की चेतावनी जारी करने के साथ तेजी से बढ़ा। कैंपस लाइफ के उपाध्यक्ष डब्ल्यू ने चेतावनी दी कि अगर छात्र नहीं रुकते हैं तो उन्हें गिरफ्तारी का सामना करना पड़ेगा। छात्रों के ना रुकने के चलते गिरफ्तारियां की गईं। इस विरोध प्रदर्शन में 100 से ज्यादा छात्र शामिल थे, जो राष्ट्रव्यापी फिलिस्तीन समर्थक आंदोलनों के साथ एकजुटता प्रदर्शित कर रहे थे।
अमेरिका में कई जगहों पर प्रदर्शन
अमेरिका में फिलिस्तीन के समर्थन में बीते हफ्तों में तेजी आई है। खासतौर से पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में 100 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी के बाद आइवी लीग स्कूल हार्वर्ड और येल सहित अमेरिका भर के प्रमुख विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों की गाजा में हमले रोके जाने की मांग है।
गाजा पट्टी में बीते साल 7 अक्टूबर से इजरायल के हमले जारी हैं। छह महीने से जारी इस लड़ाई में 32,070 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। इसमें भारी संख्या में बच्चों की मौत भी शामिल है। इस युद्ध में अब तक 748 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। लंबे समय तक युद्ध चलने की वजह से गाजा पट्टी में लोगों के सामने पेट भरने का भी संकट है। पीने का पानी और छत के लिए लोग परेशान हैं। इससे यहां एक मानवीय संकट खड़ा हो गया है।