September 22, 2024

सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग ने MDH और एवरेस्ट के प्रॉडक्ट्स बैन, 70 करोड़ डॉलर के मसाले व्यापार पर लगा दांव

0

नई दिल्ली
 भारतीय मसालों के लिए हाल के दिनों में कई देशों से बुरी खबरें आ रही हैं। सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग ने एमडीएच और एवरेस्ट के कई प्रॉडक्ट्स पर बैन लगा दिया है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की एजेंसियों ने भी इन कंपनियों के मसालों की जांच करने की बात कही है। आर्थिक थिंक-टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि कई देशों में रेगुलेटरी एक्शन के कारण भारत के लगभग 70 करोड़ डॉलर के मसाला निर्यात कारोबार पर खतरा मंडरा रहा है। साथ ही उसने आगाह किया कि अगर यूरोपीय यूनियन भी भारतीय मसालों पर एक्शन लेता है तो इससे भारत के मसाला निर्यात पर 2.5 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त असर पड़ सकता है।

अमेरिका, हॉन्ग कॉन्ग, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और मालदीव ने एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। भारत ने फाइनेंशियल ईयर 2024 में इन देशों को 692.5 मिलियन डॉलर के मसाले निर्यात किए। GTRI ने कहा कि इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने और भारत की स्पाइस इंडस्ट्री की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए कार्रवाई की जरूरत है। इसमें यह भी कहा गया है कि अब तक भारतीय अधिकारियों की प्रतिक्रिया उदासीन रही है। हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर ने एमडीएच और एवरेस्ट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। इन देशों का दावा है कि उनके उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड की जरूरत से ज्यादा मात्रा पाई गई है। इस केमिकल से कैंसर होने का खतरा रहता है। इस कारण इन उत्पादों की खेप को वापस मंगाना पड़ा है।

यूरोपीय संघ

GTRI का कहना है कि भारतीय मसालों के प्रति दुनिया के भरोसे को फिर से कायम करने के लिए तुरंत जांच और उसकी फाइंडिग्स को सामने लाना जरूरी है। गलती करने वाली कंपनियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जीटीआरआई के को-फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अगर यूरोपीय संघ भी भारतीय मसालों पर बैन लगाता है तो यह स्थिति और भी खराब हो सकती है। ईयू गुणवत्ता के मुद्दे पर भारतीय मसालों की खेप को नियमित रूप से खारिज करता रहता है। यूरोपीय संघ अगर ऐसा करता है तो भारत के मसाला उद्योग को 2.5 अरब डॉलर का अतिरिक्त नुकसान हो सकता है। यह भारत के कुल वैश्विक मसाला निर्यात का 58.8% फीसदी है।

जीटीआरआई ने कहा कि अगर सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग की तर्ज पर चीन और आसियान देश भी भारतीय मसालों पर पाबंदी लगाते हैं तो भारतीय मसाला निर्यात में भारी गिरावट आ सकती है। श्रीवास्तव ने कहा कि इससे 2.17 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात पर असर पड़ सकता है, जो भारत के वैश्विक मसाला निर्यात का 51.1% है। उन्होंने कहा कि क्वालिटी संबंधी मुद्दों को तत्काल और पारदर्शिता के साथ सुलझाने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बाद मसाला बोर्ड और FSSAI ने रूटीन सैंपलिंग शुरू कर दी है लेकिन मसालों की क्वालिटी के बारे में कोई बयान जारी नहीं किया है। यदि टॉप भारतीय कंपनियों की क्वालिटी सवालों के घेरे में है तो घरेलू बाजार में मौजूद मसालों की विश्वसनीयता पर भी संदेह पैदा होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *