राजगढ़ से चुनावी मैदान में लगभग 30 साल बाद उतरे हैं दिग्विजय
राजगढ़.
मध्यप्रदेश का अपेक्षाकृत शांत और छोटा जिला राजगढ़, संसदीय क्षेत्र के तौर पर इस बार देश भर में सुर्खियां बटोर रहा है, इसका कारण है कि लगभग 30 साल बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह यहां से एक बार फिर लोकसभा के चुनावी मैदान में कठिन परिश्रम कर रहे हैं। यहां पर उनका मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मौजूदा सांसद रोडमल नागर से हैं, जिनके पक्ष में संगठन पूरी ताकत झोंक रहा है और अनेक राष्ट्रीय नेता भी प्रचार कर चुके हैं।
सिंह के लिए ये सीट इस मामले में भी अहम हैं क्योंकि ये उनकी पारिवारिक सीट रही है। इस संसदीय क्षेत्र में उनकी गृह विधानसभा गुना जिले का राघौगढ़ आता है। वे इस संसदीय सीट से 80 और 90 के दशक में एक-एक बार पहले भी सांसद रह चुके हैं। इसके बाद उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी यहां से तीन बार कांग्रेस के बैनर तले और एक बार भारतीय जनता पार्टी से सांसद रह चुके हैं।
भोपाल से सटी इस सीट पर सात मई को मतदान होना है। आज प्रचार समाप्ति के अंतिम दिन तक सिंह ने स्वयं चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभाली। भीषण गर्मी में भी वे गांव-देहात में लगातार पहुंच रहे हैं और अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं। नर्मदा परिक्रमा के बाद से सिंह की पदयात्रा राज्य में चर्चाओं में रहतीं हैं और चुनाव के प्रचार के दौरान भी सिंह लगातार पदयात्राओं के माध्यम से ही जनता के बीच पहुंच रहे हैं।
राज्यसभा सांसद सिंह कई स्थानों पर सार्वजनिक तौर पर स्वीकार कर चुके हैं कि ये उनका 'आखिरी चुनाव' है और यही अपील करते हुए जनता से उनका समर्थन करने का अनुरोध कर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा के नेता भी इसे उनका आखिरी चुनाव बताने से नहीं चूक रहे। भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर के समर्थन में पिछले दिनों यहां चुनावी सभा करने आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सिंह के संदर्भ में बिना किसी का नाम लिए यहां तक कह दिया कि 'आशिक का जनाज़ा है, जरा धूम से निकले'। हालांकि उनके इस बयान पर सिंह ने भी भाजपा नेताओं को निशाने पर लेते हुए पलटवार किया था। भाजपा के नेता सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान की राज्य की स्थिति को लेकर लगातार उन पर हमले बोल रहे हैं।
भाजपा के मौजूदा सांसद रोडमल नागर यहां से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की माेना सुस्तानी को पराजित किया था, जिसके बाद मोना सुस्तानी ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली। कांग्रेस और भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों समेत इस संसदीय क्षेत्र से कुल 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।
ये संसदीय सीट नरसिंहगढ़, ब्यावरा, खिलचीपुर, राजगढ़, सारंगपुर, आगरमालवा जिले की सुसनेर और गुना जिले की राघौगढ़ और चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्रों से मिल कर बनी है। इनमें से वर्तमान में राघौगढ़ और सुसनेर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का कब्जा है। सात मई को मतदान के बाद इस अंचल के मतदाताओं ने किस व्यक्ति को अपना समर्थन दिया है, इसका खुलासा चार जून को मतगणना के बाद सामने आ जाएगा।