November 24, 2024

उत्तराखंड में मिला दूसरा स्थान, शिवांग ने पहले प्रयास में नीट किया क्लियर

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रुद्रपुर
ऊधमसिंह नगर जिले के पंतनगर निवासी शिवांग सक्सेना ने नीट की परीक्षा पहले प्रयास में उत्तीर्ण की है। उत्तराखंड में शिवांग को दूसरा और कुमाऊं में पहला स्थाना हासिल हुआ है। शिवांग की आल इंडिया रैंक 167 है। शिवांग की शानदार सफलता से परिवार में जश्न का माहौल है।

पिता पंत विवि के इंजीनियरिंग कालेज के प्रोफेसर
शिवांग सक्सेना के पिता प्रो रवि सक्सेना गोविंद वल्लभ पंत विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कालेज में प्रोफेसर हैं। शिवांग ने नेशनल इलिजबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (नीट) में कुल 720 में 695 अंक प्राप्त हासिल कर कुमाऊं टॉप किया है। शिवांग ने अपनी स्कूलिंग रुद्रपुर से की है।

शिवांग शुरुआत से ही रहे हैं टॉपर
शिवांग शुरुआत से ही टापर रहे हैं। 10वीं में जेसीस पब्लिक स्कूल से 99.6 प्रतिशत और 12वीं में भारतीयम पब्लिक स्कूल से 98.6 प्रतिशक अंकों के साथ उन्होंने टॉपर्स की सूची में अपना स्थान सुनिश्चित किया था।

जितना पढ़ा, मन लगाकर पढ़ा
शिवांग बताते हैं कि उन्होंने रोजाना घंटों के हिसाब से पढ़ाई कभी नहीं की। हां जितना भी पढ़ा फोकस्ड होकर पढ़ाई की। 10वीं और 12वीं में हल्द्वानी आकाश इंस्टीट्यूट से कोचिंग किया है। 12वीं के बाद पहले ही अटेम्प्ट में उन्होंने नीट क्लियर किया है।

तैयार के दाैरान सोशल मीडिया से दू रहे शिवांग
प्रिपरेशन के दौरान शिवांग सोशल मीडिया और मोबाइल से दूर रहे। इनकी इस रणनीति ने उन्हें तैयारी पर फोकस करने में मदद की। शिवांग बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि इंटरनेट पर कुछ भी काम का नहीं है, लेकिन आपको तैयारी के दौरान केन्द्रित रहने के लिए इन सब चीजों से दूर रहना होता है।

डॉक्टर बनने के लिए बचपन से प्रेरित करती रही मां
शिवांग के पिता ने उन्हें लगातार मोटिवेट करने रहे। उन्होंने तैयारी के दौरान कोचिंग और स्कूल में जो भी पढ़ाई की, लगातार उसका रिवीजन करते रहे। शिवांग बताते हैं कि डॉक्टर बनने के लिए उन्हें उनकी मां रेखा सक्सेना ने बचपन से ही प्रेरित किया। जिसके बात उन्होंने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था।

बड़ी बहन डाॅ सोनाक्षी हैं वेटनरी
शिवांग की बड़ी बहन डाॅ सोनाक्षी पंत विवि से वेटनरी डिपार्टमेंट में प्रशिक्षु हैं। शिवांग के गाने सुनना पसंद है। जिससे वह खुद को फ्रेश रखते थे। उनका लक्ष्य डॉक्टर बन लोगों की सेवा करना है। शिवांग ने अपनी सफलता का श्रेय परिजनों और गुरुजनों को दिया है।

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