पाकिस्तान पर 124 अरब डॉलर का कर्ज… खजाना खाली, क्या अब सबकुछ बेचकर कंगाली से उबरेगा?
कराची
आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान (Pakistan Financial Crisis) में बीते साल से ही हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. देश में चुनाव के बाद नई सरकार का गठन भी हो गया और एक बार फिर प्रधानमंत्री के रूप में शहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) ने देश की कमान संभाली, लेकिन दूसरी पारी में भी उनके सामने पाकिस्तान को कंगाली से उबारने की चुनौतियां जस की तस बनी हुई हैं. हालांकि, अब जो कदम PAK PM द्वारा उठाए जा रहे हैं, वो चर्चा में हैं.
दरअसल, सरकार ने कुछ को छोड़कर, बाकी सभी सरकारी कंपनियों का प्राइवेटाइजेशन करने का प्लान तैयार किया है. ऐसा पहली बार नहीं है, बल्कि अपनी पहली सरकार के दौरान भी शहबाज शरीफ एयरपोर्ट, बंदरगाह और ऐतिहासिक होटल को लेकर ऐसे कदम उठा चुके हैं. आइए जानते हैं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान किस कदर कर्ज के जाल (Pakistan Debt) में फंसा है और अब तक क्या-क्या चीजें प्राइवेट हाथों में दे चुका है?
हालात सुधारने को चौंकाने वाले फैसले
इसे कर्ज का बोझ कहें, या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का दबाव, पाकिस्तान की सरकार लंबे समय से महंगाई की मार से त्रस्त देश की जनता को राहत पहुंचाने की पाकिस्तान सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम होती जा रही है. ऐसे में कंगाली से उबरने के लिए शहबाज शरीफ सरकार लगातार नए-नए और चौंकाने वाले फैसले ले रही है. अब प्रधानमंत्री (PM Shehbaz Sharif) ने बीते मंगलवार को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उद्यमों को छोड़कर सभी राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा कर दी है. ARY News की रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में हुई बैठक में निजीकरण कार्यक्रम 2024-29 का रोडमैप पेश किया गया, जिसमें बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण भी शामिल है.
सबसे पहले एयरलाइन का प्राइवेटाइजेशन!
पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ का कहना है कि राज्य के स्वामित्व वाले कारोबार के निजीकरण से टैक्सपेयर्स का पैसा बचेगा और सरकार को लोगों को गुणवत्तापूर्ण सवर्सि प्रोवाइड कराने में मदद मिलेगी. रिपोर्ट की मानें तो सरकार सरकारी कंपनियों को बेचने की शुरुआत पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस कंपनी लिमिटेड (PIA)के प्राइवेटाइजेशन से करेगी और इसके बाद अन्य कंपनियों के बोली लगाई जाएगी. सरकार का प्लान सबसे पहले ऐसी कंपनियों को प्राइवेट हाथों में बेचने का है, जो कि घाटे में चल रही हैं. हालांकि, लिस्ट में मुनाफा कमाने वाली सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं.
IMF की कड़ी शर्तों से बढ़ी जनता की मुसीबत
अब सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान में कंपनियों को बेचने के इस सरकारी प्रोग्राम 'प्राइवेटाइजेशन 2024-2029' का असर देखने को मिलेगा? दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि शहबाज सरकार इससे पहले भी कुछ इसी तरह के कदम बीते साल 2023 में उठा चुकी है. कंगाली की कगार पर पहुंचे देश ने IMF से बेलआउट पैकेज पाने के लिए तमाम ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे देश के लोगों का बोझ बढ़ा है. इनमें आईएमएफ ने हर तरह की सब्सिडी खत्म करने, पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) और बिजली की दरें बढ़ाने के साथ ही टैक्स कलेक्शन में 10 फीसदी तक इजाफा करने जैसी शर्तें लगाई थीं. हालांकि, जनता पर बोझ बढ़ाते हुए पाकिस्तान सरकार उसकी शर्तें मानती गई और उसे मदद भी मिलने लगी, लेकिन हालात में कुछ खास सुधार नजर नहीं आए.
रूजवेल्ट होटल… इस्लामाबाद एयरपोर्ट और कराची पोर्ट
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी कंपनियों को बेचे जाने का शहबाज सरकार का फैसला भी आईएमएफ के दबाव में उठाया गया कदम है. इससे पहले बीते साल पाकिस्तान ने डिफॉल्ट होने के खतरे के बीच पैसे जुटाने के लिए न्यूयॉर्क स्थित अपने मशहूर रूजवेल्ट होटल (Roosevelt Hotel) को तीन साल के लिए किराये पर दे दिया था. पाकिस्तान की ये डील से करीब 220 मिलियन डॉलर की थी. इसके बाद इस तरह की खबरें भी खूब सुर्खियों में रहीं कि डिफॉल्ट से बचने के लिए सरकार इमरजेंसी फंड जुटाने के लिए अन्य संपत्तियां बेचने के लिए मजबूर है. उस समय आईं तमाम रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस क्रम में 2023 में उसने इस्लामाबाद एयरपोर्ट को भी ठेके पर देने का फैसला किया और यही नहीं अपने सबसे बड़े कराची पोर्ट को लेकर UAE के साथ एक कंसेशन एग्रीमेंट साइन किया, जो 50 साल का है.
GDP का 42% के बराबर पाकिस्तान पर कर्ज
बदहाल आर्थिक हालात के कारण पाकिस्तान अब तक पूरी दुनिया से अरबों रुपये का कर्ज (Pakistan Debt) ले चुका है और लेता ही जा रहा है. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान पर 124.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जो उसकी जीडीपी का 42 फीसदी है. IMF से मिली मदद के बाद उसके खजाने में कुछ उछाल आया है, लेकिन देश के हालातों को सुधारने के लिए ये नाकाफी साबित हो रहा है. बता दें कि बीते 30 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से करीब 9000 हजार करोड़ से ज्यादा की आर्थिक मदद मिलने के बाद मई महीने में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Forex Reserve) 1.20 लाख करोड़ हो गया. ऐसे में सरकार का कहना है कि उसके पास सरकारी कंपनियों को बेचने का रास्ता बाकी बचा है.