November 27, 2024

अमेरिका में निर्वाचित पदों पर भारतीय अमेरिकियों की संख्या उनकी बढ़ती आबादी को नहीं दर्शाती है : हैरिस

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अमेरिका में निर्वाचित पदों पर भारतीय अमेरिकियों की संख्या उनकी बढ़ती आबादी को नहीं दर्शाती है : हैरिस

भारतीय मूल के अमेरिकियों की संख्या उनकी बढ़ती आबादी को नहीं दर्शाती- कमला हैरिस

कश्मीर में तीन महीने से बंधक बनाए गए 35 नेपाली वतन लौटे, दो एजेंट गिरफ्तार

वाशिंगटन,
 अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने  कहा कि निर्वाचित पदों पर भारतीय मूल के अमेरिकियों की संख्या उनकी बढ़ती आबादी को नहीं दर्शाती है। इसी के साथ उन्होंने ज्यादा से ज्यादा भारतीय अमेरिकियों को राजनीति में सक्रिय होने की अपील की।

कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी के थिंक टैंक ‘इंडियन अमेरिकन इंपैक्ट’ के वार्षिक सम्मेलन ‘डेसिस डिसाइड’ में यह बात कही थी। यह संगठन देश भर में निर्वाचित पदों के लिए चुनाव में उतरने वाले भारतीय अमेरिकियों को समर्थन और धन मुहैया कराता है।

अमेरिका में भारतीय और अफ्रीकी मूल की पहली महिला उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय मूल के अमेरिकियों से खचाखच भरे कक्ष में उन्हें संबोधित करते हुए कहा, ”पिछले कुछ सालों के दौरान बड़ी संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक निर्वाचित पदों के वास्ते चुनाव प्रक्रिया में शामिल हुए , लेकिन फिर भी यह संख्या उनकी बढ़ती जनसंख्या के सही अनुपात को नहीं दर्शाती है।”

वर्तमान में अमेरिकी संसंद में भारतीय मूल के पांच निर्वाचित सदस्य हैं, जिसमें डॉ. अमी बेरा, राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना, प्रमिला जयपाल और थानेदार शामिल हैं। ‘अमेरिकन इंपैक्ट’ का मानना था कि 2024 में अमेरिकी संसद में भारतीय मूल के अमेरिकियों की संख्या बढ़कर 10 हो जाएगी।

राष्ट्रपति पद के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा के संबंध में ‘इंडियन अमेरिकन इंपैक्ट’ का कहना कि अमेरिका में भारतीय मूल का समुदाय, जो दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समुदाय है और देश के कई राज्यों में इसकी जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, चुनाव परिणाम को भी प्रभावित कर सकता है।

कमला हैरिस ने ‘इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट’ के काम की सराहना करते हुए कहा कि उसने न केवल समुदाय के सदस्यों को चुनने में बल्कि जॉर्जिया जैसे प्रांतों में सीनेटर के चुनाव में भी अहम भूमिका निभाई है। हैरिस ने कहा, ”आपको पता होना चाहिए कि आप अकेले नहीं हैं। एक देश के रूप में हमें अभी भी बहुत कुछ करना है, जिसके कारण हम यहां एक साथ हैं।”

कश्मीर में तीन महीने से बंधक बनाए गए 35 नेपाली वतन लौटे, दो एजेंट गिरफ्तार

काठमांडू
 अच्छे वेतन के साथ रोजगार का वादा कर कश्मीर ले जाए जाने के बाद तीन महीने तक बंधक बनाए गए 35 नेपाली मजदूर रिहा हो गए हैं। उन्हें 3 फरवरी को बिहार के चार एजेंटों के माध्यम से कश्मीर ले जाया गया था। इन सभी को कश्मीर के बड़गांव से बचाया गया, जो बीते बुधवार की रात घर लौट आए हैं। कश्मीर पुलिस ने इनको बंधक बनाने वाले दो एजेंटों को गिरफ्तार भी किया है।

नेपाली दूतावास, किन इंडिया और जम्मू-कश्मीर पुलिस की पहल पर पांच बच्चों समेत बचाए गए सभी 35 लोग नेपाल के सर्लाही, धनुषा और महोत्तरी जिले के रहने वाले हैं। इन लोगों ने बताया कि कुल 43 लोगों को 720 रुपये की दैनिक मजदूरी पर कश्मीर ले जाया गया था। दिल्ली में नेपाली दूतावास के परामर्शदाता, नेपाल पुलिस की एसएसपी उमा चतुर्वेदी ने टेलीफोन पर बताया कि इन सभी मजदूरों को कश्मीर में बंधक बनाकर लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। चतुर्वेदी ने बताया कि बचाए गए लोगों को उनके काम के लिए भुगतान भी नहीं किया गया। उनके मुताबिक 43 बंधकों में से सात पहले ही भाग निकले थे।

नेपाली दूतावास की तरफ से बताया गया है कि एक एजेंट का रिश्तेदार एक नेपाली लड़का कश्मीर में रहता है। रिहा कराए गए एक मजदूर ने बताया कि कश्मीर पहुंचने के बाद हम लोगों को पीटा गया और मोबाइल फोन, पैसे और नागरिकता के दस्तावेज छीन लिए। मजदूर ने यह भी बताया कि हम लोगों को अच्छा खाना भी नहीं मिलता था। साइट पर न कहीं भोजन उपलब्ध था और ना पानी। भोजन न मिलने पर भूखा रहना पड़ता था। खाने के लिए एक-दो समोसे और जूस देकर पूरे दिन काम कराते थे। बचाए गए एक अन्य नेपाली मजदूर रंजीत चौधरी ने बताया कि उन लोगों को जान से मारने की धमकी दी जाती थी। वे कहते थे कि उन्होंने सात नेपालियों को गोली मारकर और बोरे में भरकर मार डाला।

नई दिल्ली स्थित किन इंडिया के अध्यक्ष नवीन जोशी ने टेलीफोन पर बताया कि रिहा कराये गए मजदूर सुरक्षित रूप से अपने गांव लौट गए हैं। उन्होंने बताया की हमने 18 साल से कम उम्र के पांच बच्चों समेत 35 नेपाली लोगों को कश्मीर से दिल्ली के रास्ते उनके गांव लौटाया है। उन्होंने कहा की इन मजदूरों को बेहद अमानवीय परिस्थितियों में बंधक बनाकर रखा गया था। हम नेपाली दूतावास, कश्मीर पुलिस और अन्य एजेंसियों के समन्वय से उन्हें बचाने में कामयाब रहे। कश्मीर पुलिस ने इनको बंधक बनाने वाले दो एजेंटों को गिरफ्तार भी किया है।

 

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