November 16, 2024

अपरधियों को भी सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार का हक – बॉम्बे हाईकोर्ट

0

नागपुर
 बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी में कहा कि किसी अपराध के दोषी को भी बेस्ट मेडिकल ट्रीटमेंट का हक है. माओवादी होने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व पत्रकार प्रशांत राही को गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट द्वारा मेडिकल जांच की अनुमति देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा है कि एक दोषसिद्ध अपराधी भी सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार का हकदार है.

दरअसल, 63 वर्षीय प्रशांत राही अमरावती केंद्रीय जेल में बंद है, जिसे 2017 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत महाराष्ट्र में दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साईं बाबा से जुड़े एक मामले में दोषी ठहराया गया था. कथित तौर पर प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के सदस्य राही को 2013 में गिरफ्तार किया गया था. उसके ऊपर यूएपीए के तहत एक्शन हुआ था. वह दिल्ली स्थित एक अंग्रेजी दैनिक का उत्तराखंड संवाददाता था.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, आजीवन कारावास की सजा काट रहे प्रशांत राही की बेटी शिखा राही ने याचिका दायर कर कहा था कि उनके पिता पेट की बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें तत्काल किसी विशेषज्ञ से इलाज की जरूरत है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित देव और अनिल पानसरे की बेंच ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा कि दोषी न तो आर्टिकल 21 के तहत संवैधानिक अधिकार या बुनियादी मानवाधिकारों को कमजोर करता है, जिसका एक पहलू यह है कि दोषी को उचित उपचार मिला.

हाईकोर्ट ने सरकार को अगली सुनवाई के दौरान प्रशांत राही की मेडिकल स्टेटस पर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी. दोषी राही की बेटी ने तब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जब उसे अपने पिता की ओर से स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर दो पत्र मिले. अपनी याचिका में शिखा ने दलील दी कि जेल के चिकित्सा अधिकारी ने उसके पिता का इलाज कराया, मगर फिर भी वह पेट दर्द, उल्टी और दस्त से पीड़ित रहा. इसलिए अब उसके पिता को एक विशेषज्ञ डॉक्टर से दिखाने की जरूरत है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *