केजरीवाल ने दिल्ली की अदालत में अपने लिए राहत की मांग की, कोर्ट में ED की दलीलें प्रचार में तो कोई दिक्कत नहीं
नई दिल्ली
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए अपने लिए राहत की मांग की। राउज एवेन्यू स्थित ट्रायल कोर्ट में केजरीवाल ने नियमित याचिका दायर की। उन्होंने एक अन्य अर्जी में अपने स्वास्थ्य का हवाला देकर सात दिन की अंतरिम जमानत की भी मांगी है। स्पेशल जज कावेरी बवेजा ने नोटिस जारी करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से दोनों ही याचिकाओं पर जवाब मांगा है।
ईडी की तरफ से पेश हुए अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 1 जून को निर्धारित की। यदि ट्रायल कोर्ट के केजरीवाल को राहत नहीं मिलती है तो उन्हें 2 जून को सरेंडर करके जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए आम आदमी पार्टी के मुखिया को 21 दिन की राहत दी थी। केजरीवाल ने अपनी सेहत खराब बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से जमानत अवधि को 7 दिन बढ़ाने की मांग की थी। सर्वोच्च अदालत ने तुरंत सुनवाई से इनकार किया। इसके बाद केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट का रुख किया है।
ईडी ने गुरुवार को केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर राहत की मांग कर रहे हैं जबकि दूसरी तरफ वह चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। एसवी राजू ने कहा, 'वह कस्टडी में नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी। वह आज पंजाब में प्रचार कर रहे हैं। उनका स्वास्थ्य उन्हें प्रचार करने से नहीं रोक रहा है। वह आखिरी समय पर जमानत के लिए आए हैं ताकि हमें बहुत कम समय मिले। उनका आचरण आज किसी फैसले लायक नहीं है।'
अरविंद केजरीवाल का कहना है कि उनका वजन गिरफ्तारी के बाद अचानक करीब 7 किलो कम हो गया है। उनके यूरिन में किटोन लेवल बहुत हाई है। आम आदमी पार्टी ने हाल ही में कहा है कि केजरीवाल में गंभीर बीमारी के लक्षण हैं और इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें PET-CT स्कैन समेत कई टेस्ट कराने को कहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। केजरीवाल के खिलाफ हाल ही में ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई है, जिसमें उन्हें घोटाले का मुख्य साजिकर्ता बताया गया है। ईडी के दावों को आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार खारिज करती रही है।