बालाघाट में पहली महिला सांसद बनीं भारती पारधी
बालाघाट/धार/उज्जैन
13 मार्च 2024 को जब भाजपा आलाकमान ने पार्षद भारती पारधी को प्रत्याशी घोषित किया था, उसी समय उनकी जीत पक्की मानी जा रही थी। लगभग तीन महीनों का प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क आखिरकार काम आया और 1998 से बालाघाट-सिवनी संसदीय सीट पर कायम भाजपा का वर्चस्व इस बार भी यथावत रहा।
परिणाम आने के एक दिन पहले कांग्रेस के दिग्गजों ने एक लाख से अधिक वोटों से जीत का दावा किया था, लेकिन इस लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की उम्मीदों को धक्का लगा है। एक तरफ भाजपा का खेमा जश्न में डूबा है, तो कांग्रेस में मायूसी छाई है। शुरुआती रुझानों में जैसे-जैसे भाजपा बढ़त बनाती चली गई, वैसे-वैसे भाजपा नेताओं ने विजयी जुलूस व जश्न की तैयारी तेज कर दी। चौथे चरण के बाद ही पार्टी कार्यालय में जश्न का माहौल बनने लगा। शाम को शहर के मुख्या मार्गाें से विजयी जुलूस निकाला और जनता का अभिवादन किया।
कड़ी सुरक्षा के बीच हुई मतगणना, चप्पे-चप्पे रहा पहरा
मंगलवार को बालाघाट-सिवनी संसदीय सीट के 13 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला हुआ। चुनाव आयोग के निर्देशानुसार पहले सुबह आठ बजे डाक मतपत्रों की गणना होनी थी, लेकिन जिले में ये गणना 15 मिनट देरी से शुरू हुई। करीब आधे घंटे तक चली डाक मतपत्रों की गिनती के बाद ईवीएम मशीनों के वोटों की गणना शुरू की गई। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और सख्त पहरे के बीच शुरू हुई मतगणना में आखिर तक किसी तरह के विवाद या अप्रिय परिस्थिति नहीं बनी।
मतगणना स्थल से लेकर यहां से सौ मीटर के दायरे तक मुस्तैदी
सीआरपीएफ, एसएएफ और जिला पुलिस बल की मुस्तैदी मतगणना स्थल से लेकर यहां से सौ मीटर के दायरे तक देखने मिली। मतगणना स्थल के पास सेन चौक और जागपुर घाट चौक पर पुलिस बल तैनात रहा। दोनों संवेदनशील स्थानों में बेरिकेटिंग लगाई गई और पुलिस अधिकारियों से लेकर बल की उपस्थिति रही। इस दौरान कलेक्टर डा. गिरीश कुमार मिश्रा और पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ ने समय-समय पर मतगणना स्थल का मुआयना किया और व्यवस्थाओं को लेकर अपडेट लेते रहे।
पहले चरण में मिली टक्कर, फिर पीछे रह गई कांग्रेस
मतगणना के सिर्फ पहले चरण की वोटों की गिनती में कांग्रेस और भाजपा में टक्कर दिखाई दी। तब कांग्रेस जिले की छह में से तीन विधानसभाओं में और भाजपा तीन विधानसभाओं में आगे रही, लेकिन इसके बाद चरणों में कांग्रेस पीछे छूटती चली गई। लांजी, बैहर और परसवाड़ा जैसी विधानसभाओं में जहां कांग्रेस शुरुआती रुझानों में बढ़त या टक्कर देती नजर आ रही थी, बाकी के चरणों में भाजपा कांग्रेस पर भारी नजर आने लगी। सात-आठ चरण के नतीजे सामने आने के बाद कांग्रेस ने अपनी हार मान ली। मतगणना स्थल पर मौजूद कांग्रेस के प्रतिनिधि व एजेंटों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ बयां कर रही थी कि इस बार भी उन्हें हार मिल रही है।
प्रदेश में बीजेपी का वर्चस्व कायम, नरेन्द्र मोदी की राम-राम घरों तक पहुंची, लोकल कनेक्ट से भाजपा जीती
धार-महू लोकसभा के साथ रतलाम-झाबुआ और खरगोन-बड़वानी लोकसभा सीटों में जीत के लिए कांग्रेस और भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी। भीषण गर्मी ने पसीना बहाया। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राष्ट्रीय और लोकल कनेक्ट का जादू चल गया। सात मई को भीषण गर्मी में प्रधानमंत्री ने खरगोन और धार में सभा कर चार संसदीय क्षेत्र पर फोकस किया।
धार में तो उन्होंने भोजशाला और मांडू का जिक्र कर स्थानीय कनेक्ट ऐसा बनाया कि 13 मई तक मोदी की राम-राम घर-घर तक पहुंच गई। खरगोन में आदिवासी मतदाताओं से-वारलूं छे और मां नर्मदा के माध्यम से जुड़े थे, वहीं कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की आदिवासी और आरक्षण की बात असरकारी नहीं रही।
छह माह पहले मालवा-निमाड़ में विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन से भाजपा के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व को चिंता थी, इसलिए प्रधानमंत्री फरवरी में जब इलेक्शन मोड में आए तो उन्होंने सबसे पहले आदिवासी वोटरों को साधने के लिए झाबुआ में अपनी सभा की। हालांकि तब चुनावी कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ था।
मोदी ने इस जीत की आधारशिला रख दी थी। उसके बाद राहुल गांधी ने भी अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए धार जिले के बदनावर व रतलाम में भारत जोड़ो अभियान के तहत बड़ी सभा की।
यहां पर अपने सभी कांग्रेसी विधायकों को एक जाजम पर बैठाया और जीत के लिए मंत्र भी दिया। इस तरह से दोनों ही राजनीतिक दल मालवा-निमाड़ के इन लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव कार्यक्रम के पहले ही कमर कस चुके थे। आचार संहिता लागू हुई और चुनावी सरगर्मी में दोनों पार्टी को फिर इस क्षेत्र की याद आई। प्रधानमंत्री वैसे तो अप्रैल में ही धार आने वाले थे।
भाजपा ने समय की नजाकत को ध्यान में रखकर चुनाव के एक सप्ताह पहले प्रधानमंत्री की सभा करवाई। सात मई को धार और खरगोन में सभा हुई। इन सभा में मोदी ने राष्ट्रीय मुद्दों को जनता के सामने रखा लेकिन वे लोकल कनेक्ट पर ज्याद केंद्रित थे।
उज्जैन में भगवा ध्वज ने छुआ आसमान, उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ़ साबित हुआ
महाकाल की नगरी और प्रदेश की धर्मधानी उज्जैन में एक बार फिर भगवा परचम ने आकाश छुआ। लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अनिल फिरोजिया ने रिकार्ड जीत दर्ज की है। निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के महेश परमार को 4 लाख से अधिक वोटो से हरा दिया। यह नया रिकार्ड है। इससे पहले 2019 में फिरोजिया ने ही कांग्रेस प्रत्याशी बाबूलाल मालवीय को तीन लाख 65 हजार 637 वोटों से हराया था।
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव का गृह क्षेत्र होने से भी यह सीट चर्चा में थी। साथ ही अक्टूबर-2022 में श्री महाकाल महालोक के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकार्पण किए जाने के बाद भाजपा ने इस अपनी बड़ी उपलब्धि बताया था। इन सब समीकरणों के बीच यह क्षेत्र भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था।
रिकार्ड जीत से एक बार फिर उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ़ साबित हुआ है। उल्लेखनीय है कि उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र में 1951 से लेकर 2019 तक हुए 17 चुनावों में केवल पांच बार कांग्रेस जीती है। इस सीट को भाजपा का मजबूत किला माना जाता रहा है। इस बार भी शुरुआती दौर में यहां चुनाव एकतरफा ही माना जा रहा था। इसके बाद कुछ रोचक राजनीतिक समीकरण देखने को मिले।