मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप के बाद अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश का वजन बढ़ने की संभावना
भोपाल
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप के बाद अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश का वजन बढ़ने की संभावना है। पहले मोदी कैबिनेट में मध्य प्रदेश से पांच मंत्री हुआ करते थे लेकिन अब संभावना है कि जोरदार परिणाम देने के बाद भी मध्य प्रदेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल में अधिकतम चार पद मिल सकते हैं। इसमें भी जातिगत और भौगोलिक संतुलन बनाने पर पार्टी ध्यान देगी। संभावना है कि नई सरकार में आदिवासी वर्ग से नए चेहरे को आगे बढ़ाया जा सकता है। वजह यह है कि पार्टी आदिवासी वर्ग में अपनी जड़ें गहरी करने में जुटी है।
विशाल जीत पाने वाले शिवराज सिंह पर सबकी नजर
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का उपयोग संगठन में किया जाएगा या फिर सत्ता में इस पर निर्णय होना भी बाकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि मैं शिवराज जी को दिल्ली ले जाना चाहता हूं। ऐसे में, उन्हें अब राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा ओहदा मिलने की संभावना प्रबल दिखने लगी हैं। उनके समर्थक ज्यादातर अनुमान यही लगा रहे हैं कि शिवराज को मोदी कैबिनेट में अहम विभाग मिलेगा।
गठबंधन की वजह प्रदेश के कोटे में मंत्री पद हो सकता है कम
पार्टी सूत्रों के अनुसार जल्द ही केंद्र में एनडीए सरकार के गठन की संभावना है। चूंकि इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में एनडीए के घटक दलों को ज्यादा स्थान दिए जाने की संभावनाएं हैं, ऐसे में मध्य प्रदेश से मंत्री पद का कोटा कम हो सकता है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में प्रदेश के पांच मंत्रियों को स्थान मिला हुआ था। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 से पहले नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल के भी केंद्रीय मंत्री थे। इनके अलावा फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र खटीक और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र सरकार में अब तक मंत्री हैं। इस बार संभावना है कि कुलस्ते की जगह किसी नए आदिवासी चेहरे को मोदी सरकार में अवसर मिले।
महिला और आदिवासी नेतृत्व प्राथमिकता
प्रदेश से तीन आदिवासी महिलाएं लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंची हैं। इनमें शहडोल से हिमाद्री सिंह और धार से सावित्री सिंह के अलावा अनीता नागर चौहान शामिल हैं। इनमें हिमाद्री या अनीता को मौका दिया जा सकता है। पार्टी नेताओं का मानना है कि आदिवासी वर्ग में अब नया नेतृत्व तैयार करना आवश्यक है इसलिए किसी महिला को मंत्री बनाने से दो बात बन जाएगी। पहला आदिवासी वर्ग में नया नेतृत्व खड़ा कर लिया जाएगा और दूसरा महिला को कोटा भी बढ़ जाएगा।
सिंधिया का मंत्री कोटा माना जा रहा तय
इधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया का कैबिनेट में बने रहना तय माना जा रहा है। वहीं, विष्णु दत्त शर्मा को भी कैबिनेट में रखा जा सकता है। उनको कैबिनेट में स्थान नहीं मिलता है तो कुछ दिनों तक वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ही बने रहेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए भी केंद्र में भूमिका तय होगी। ऐसी संभावना है कि उन्हें कैबिनेट अथवा लोकसभा अध्यक्ष पद पर भी बिठाया जा सकता है।
महेंद्र सिंह सोलंकी को मिल सकती है जगह
केंद्र में लंबे समय तक मंत्री रहे थावरचंद गेहलौत के बाद से वीरेंद्र खटीक को छोड़कर मध्य प्रदेश से कोई भी दलित चेहरा केंद्रीय कैबिनेट में नहीं है। ऐसे में अनुसूचित जाति वर्ग से महेंद्र सिंह सोलंकी को भी स्थान देकर नई पीढ़ी को सामने लाया जा सकता है। सोलंकी न्यायिक सेवा में रहे हैं, ऐसे में उन्हें प्रशासनिक कामकाज का अनुभव भी है।