नयना देवी बर्ड रिजर्व क्षेत्र में नैनीताल हाईकोर्ट ने सड़क निर्माण पर लगाई रोक
नैनीताल
हाई कोर्ट ने नैनीताल के किलबरी पंगोट क्षेत्र में नयना देवी बर्ड रिजर्व में वन भूमि पर सड़क बनाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने पंगोट में वन क्षेत्र में सड़क निर्माण पर रोक लगा दी है।
मामले में कोर्ट ने जिलाधिकारी नैनीताल, डीएफओ नैनीताल, अतिरिक्त निदेशक पर्यटन पूनम चंद, बिल्डर उपेंद्र जिंदल को नोटिस जारी किया है। राज्य व केंद्र सरकार को भी जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। ग्राम प्रधान ललित ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया है, बिल्डर नयना देवी पक्षी संरक्षण रिजर्व में नियम विरुद्ध तरीके से सड़क बना रहा है। बिल्डर ने मूल्यवान आरक्षित वन क्षेत्र को नष्ट करने के साथ पक्षी संरक्षण रिजर्व को क्षति पहुंचाई है।
जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि बिल्डर पंगोट नैनीताल के आरक्षित वन क्षेत्र में रोड का निर्माण कर रहा है। ग्रामीणों ने 2013 में पैदल मार्ग के लिए आवेदन किया था। जांच के बाद, वन विभाग को पैदल मार्ग निर्माण करना था। ग्राम प्रधान ने हस्तलिखित नक्शा भी बनाकर दिया था। बिल्डर ने 2013 में पर्यटन विभाग की अधिकारी पूनम चंद से गांव की जमीन खरीदी।
आरोप लगाया है कि पूनम चंद बिल्डर को सरकारी मशीनरी के माध्यम से सुविधाएं प्रदान करवा रही हैं। हाल ही में वन विभाग ने अनुमोदित हस्तनिर्मित मानचित्र और निर्देशांक के साथ एक डिजिटल मानचित्र में बदल दिया गया है, जो बिल्डर की सुविधा के अनुरूप है। बिल्डर ने एक विशाल चार मंजिला होटल का निर्माण किया है। अब ग्राम पैदल पथ को एक पूर्ण वाहन योग्य सड़क में परिवर्तित करना चाहता है।
ऐसी रोड किसी भी प्राधिकरण से बिल्डर के पक्ष में स्वीकृत नहीं की गई। अब ग्राम पंचायत, बुधलाकोट ने सरकार को बताया है कि 'पैदल यात्री पथ' की कोई आवश्यकता नहीं है। पिछले दस वर्षों में ग्रामीणों ने वन पथ का उपयोग करना शुरू कर दिया है। कोर्ट ने बुलडोजर के उपयोग पर भी रोक लगाई है।