झारखंड-जामतारा के पांच साइबर अपराधी दोषी करार, मनी लॉड्रिंग मामले में अदालत कल सुनाएगी सजा
रांची.
रांची की विशेष अदालत ने मनी लॉड्रिंग मामले में जामतारा के पांच साइबर अपराधियों को दोषी ठहराया है। इन पर एक संगठित साइबर क्राइम सिंडिकेट चलाने का आरोप है। कोर्ट इन अभियुक्तों को 23 जुलाई को सजा सुनाएगी। 2020 में आई जामतारा नाम की एक वेब सीरिज में दिखाया गया था कि कैसे जामतारा के युवा फिशिंग फोन कॉल के जरिये धोखाधड़ी करके बैंक खातों को साफ कर देते हैं। इसके बाद जामतारा को साइबर अपराध की राजधानी का नाम दिया गया। इसके बाद पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों से साइबर अपराध से जुड़े मामलों की जांच तो जामतारा से कई युवा पकड़े गए।
मामले में पुलिस ने 2019 में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया और चार्जशीट दायर की। इनमें गणेश मंडल (51), उनके बेटे प्रदीप कुमार मंडल (30), संतोष मंडल (51) और उनके बेटे पिंटू मंडल (33) और अंकुश कुमार मंडल ( 27) के खिलाफ मनी लॉड्रिंग एक्ट में भी मामला दर्ज कराया गया। इसके चलते ईडी ने झारखंड पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर और चार्जशीट के आधार पर जांच शुरू की। इसमें इन पांचों साइबर अपराधियों के खिलाफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत आरोप लगाए गए। ईडी ने कोर्ट में कहा कि आरोपियों ने भोले-भाले लोगों के बैंक खाते और एटीएम से अवैध धन की निकासी और पैसे ट्रांसफर कराए। इस पैसे को अपने और परिवार के लोगों के बैंक खाते में भेजा गया। इससे आरोपियों ने घर बनवाए और वाहन खरीदे। मामले की सुनवाई के दौरान पीएमएलए कोर्ट ने पांच आरोपियों को मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत दोषी पाया। कोर्ट 23 जुलाई को पांचों आरोपियों को सजा सुनाएगा।
फ्रीज किए गए 8674 खाते
झारखंड में जनवरी 2024 तक साइबर अपराधियों से जुड़े 8674 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है। सीआईडी के एक अधिकारी के अनुसार इन खातों को फिशिंग गतिविधियों के तहत इस्तेमाल होने के संदेह में फ्रीज किया गया है। इसमें देवघर जिले में करीबन 2002 खातों को फ्रीज किया गया है। वहीं धनबाद में 1183 और रांची में 959 खाते फ्रीज हुए हैं। अधिकारी ने बताया, 'हमें इंडियन साइबरक्राइम कोर्डिनेशन सेंटर से फ्रीज किए गए खातों के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद हमने जिलों और बैंकों के आधार पर सूची तैयारी की।'