विधानसभा सत्र: भारी हंगामे के बीच अनुपूरक बजट पास
भोपाल
विधायक उमाकांत शर्मा और कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेढ़ा ने सरकार ने सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। दोनों ही विधायक बुधवार को विधानसभा में आमने-सामने आ गए थे। इसके बाद से ही दोनों ने एक दूसरे से अपने आप को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है। आज भी दोनों ने सुरक्षा की मांग की। मेढ़ा ने सदन के भीतर अपना कुर्ता फाड़कर आरोप लगाए तो बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा भी वेल में पहुंच गए। इससे पहले पांची लाल मेढ़ा ने विधानसभा परिसर में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि उनकी जान को खतरा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि वे कारम डेम और पोषण आहार का मामला सदन में उठा रहे हैं, इसलिए उन्हें जान का खतरा बना हुआ है। उन्होंने भाजपा विधायक से अपनी जान को खतरा बताते हुए कहा कि या तो उन्हें पूरी सुरक्षा दी जाए या फिर पीएसओ भी छीन लिया जाए। विधानसभा में सुनवाई नहीं हुई तो राज्यपाल के पास जाऊंगा। मेढ़ा ने कहा कि विधायक उमाकांत शर्मा के कहने पर उन्हें विधानसभा सचिवालय नोटिस देना चाह रहा है। पाची लाल मेढ़ा मीडिया के बात करते हुए रोने भी लगे थे। इधर उमाकांत शर्मा विधानसभा में अध्यक्ष गिरीश गौतम के सामने वेल में पहुंच गए। उन्होंने इस दौरान अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की। जिस पर कांग्रेस ने गृह मंत्री को इस्तीफा देने की मांग कर दी। जिस पर अध्यक्ष ने कहा कि सदन के अंदर की सुरक्षा का जिम्मा गृह मंत्री का नहीं है।
अध्यक्ष बोले-जांच कराई सुरक्षाकर्मियों से झड़प जैसी कोई घटना नहीं हुई
विधायक पांचीलाल मेढ़ा द्वारा सुरक्षाकर्मियों पर उनके झूमाझटकी करने और उनका पायजामा फाड़ने के आरोपों पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने जांच करवाई। अध्यक्ष ने बताया कि जांच में ऐसी कोई घटना होना पाया ही नहीं गया है। दूसरी ओर विपक्ष के हंगामे के बीच मौजूदा वित्तीय वर्ष का पहला अनुपूरक बजट गुरुवार को विधानसभा में पारित हो गया। बुधवार को विधानसभा में 9784.95 करोड़ का अनुपूरक बजट वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने पेश किया गया था।
तब विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने इस पर चर्चा के लिए गुरुवार को ढाई घंटे का समय तय किया था, लेकिन आज सुबह से ही सदन में विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया। प्रश्न काल में जहां दो बाद सदन को स्थगित करना पड़ा। वहीं प्रश्न काल के बाद समवेद हुए सदन में हंगामे के बीच ही सदन की कार्यवाही चलती रही। हंगामे के बीच ही दस मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग के पत्रों को पटल पर रखा। इसके बाद ध्यानाकर्षण भी हंगामे के बीच हो गया। इन सब के बाद अनुपूरक बजट भी पारित कर दिया गया।
हंगामे की भेंट चढ़ा प्रश्नकाल स्थगित करनी पड़ी कार्यवाही
नेता प्रतिपक्ष गोविन्द सिंह ने पोषण आहार घपले पर चर्चा की मांग की। उनका कहना था कि सदन में चर्चा के लिए अध्यक्ष ने आश्वासन दिया था। इसलिए विपक्ष को मामले में बोलने का मौका दिया जाए। इस पर मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अध्यक्ष ने चर्चा का कोई आश्वासन नहीं दिया था। मामले का पटाक्षेप हो चुका है। अध्यक्ष गौतम ने कहा कि मामले पर मुख्यमंत्री का वक्तव्य आया था। मैंने कहा था कि वक्तव्य के बाद में नेता प्रतिपक्ष और विधायकों को बोलने का मौका दूंगा लेकिन हंगामा होता रहा। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल हो जाने दीजिए उसके बाद कमरे में बैठकर चर्चा कर लेंगे। लेकिन विपक्ष राजी नहीं हुआ। हंगामा नहीं थमा तो अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी यह स्थिति रही।
विरोध में सड़क पर बैठे कांग्रेस विधायक
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी, शशांक भार्गव, पांचीलाल मेढ़ा, कुणाल चौधरी सहित एक दर्जन विधायक बिरला मंदिर से पैदल मार्च करते हुए विधानसभा तक पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में आदिवासी लोगों पर अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं। विधानसभा में भी आदिवासी विधायक की गर्दन पकड़ ली गई थी। कांग्रेस विधायक विधानसभा के गेट नंबर तीन के बाहर सड़क पर बैठ गए। कुछ देर यहां पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने के बाद सभी विधायक परिसर के अंदर चले गए।