November 23, 2024

रत्न शास्त्र: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करें और बनें धनवान

0

रत्न शास्त्र ज्योतिष शास्त्र का ही हिस्सा माना जाता है. कहते हैं कि कुंडली में अगर कोई ग्रह कमजोर होता है, तो उसे अशुभ फलों की प्राप्ति होती है. ऐसे में रत्न शास्त्र में ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करने और शुभ प्रभावों को बढ़ाने के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. अगर किसी जातक को धन संबंधी कोई समस्या का सामना करना पड़ रहा है या फिर उसके पास पैसा नहीं टिक रहा है, तो उसे मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.

मां लक्ष्मी की पूजा के साथ अगर मां लक्ष्मी का प्रिय रत्न भी धारण कर लिया जाए, तो व्यक्ति के जल्द धनवान बनने के योग बनते हैं. रत्न शास्त्र में एक ऐसे रत्न के बारे में बताया गया है, जो मां लक्ष्मी का प्रिय है और धन आकर्षित करने में मदद करता है. इसे धारण करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है.

मां लक्ष्मी का प्रिय रत्न

रत्न शास्त्र के अनुसार स्फटिक रत्न को शास्त्रों में मां लक्ष्मी का प्रिय रत्न माना गया है. अगर इसे सही तरह से, ज्योतिष की सलाह के मुताबिक धारण किया जाए, तो व्यक्ति को जल्द ही मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे व्यक्ति की धन संबंध समस्याएं दूर होती हैं. बता दें कि ये एक रंगहीन और पारदर्शी पत्थर होता है. इस रत्न को लेकर मान्यता है कि मां लक्ष्मी इसे अपने गले में धारण करती हैं. इसलिए इस स्फटिक को कंठहार भी कहा जाता है.

स्फटिक पहनने के लाभ

रत्न शास्त्र के अनुसार स्फटिक की माला पहनने से व्यक्ति के धन लाभ के योग बनते हैं. रत्न शास्त्र के अनुसार स्फटिक की माला को बहुत ही शुभ माना गया है. इसे धारण करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती.  इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति को पारिवारिक कलह से मुक्ति मिलती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्यादा लाभ के लिए आप इसे घर की तिजोर में भी रख सकते हैं. शुभ फलों की तिजोरी को घर की दक्षिण दिशा में स्थापित करें और उसका मुख उत्तर दिशा की ओर रखें.

स्फटिक धारण करने के नियम

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप स्फटिक धारण करने की सोच रहे हैं, तो इसके लिए शुक्रवार और बुधवार का दिन बेहद खास माना गया है. इसे माला के अलावा, अंगूठी में भी धारण कर सकते हैं. स्फटिक को धारण करने से पहले इसे गंगाजल से शुद्ध कर लें और फिर मां लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें. इसके बाद ऊं श्रीं लक्ष्म्यै नमः मंत्र का जाप 7 बार करें. इसके बाद ही इस रत्न को धारण करें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *