आज समरकंद में आमने-सामने होंगे मोदी-जिनपिंग, LAC पर भारत-चीन के सुधरेंगे संबंध?
नई दिल्ली।
समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग करीब-करीब तीन साल के बाद आमने-सामने होंगे। लेकिन दोनों नेताओं के बीच साइडलाइन बैठक होगी या नहीं, इस पर गुरुवार को भी संशय बना रहा। न भारत और न ही चीन की तरफ से इसकी पुष्टि की गई है। इसके बावजूद नजरें इस बैठक पर लगी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के एससीओ के कार्यक्रम का जो मसौदा तैयार हुआ है, उसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव एवं ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रैसी के साथ द्विपक्षीय वार्ता का कार्यक्रम दर्ज है। ये तीनों बैठकें दोपहर के बाद रखी गई हैं। दोपहर से पहले 10 से 10.30 बजे के बीच प्रधानमंत्री की बैठकों का सीमित प्रारूप रखा गया है। इसमें वन टू वन मुलाकातें होनी हैं। इसमें किससे मुलाकात होगी, यह जिक्र नहीं है, इसलिए यह संभावना जताई जा रही है कि शायद इस दौरान चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात हो सकती है।
भारत से संबंधों में सुधार चीन के लिए वक्त की जरूरत
विदेश मामलों के जानकार मानते हैं कि एससीओ में भारत-चीन के बीच रिश्तों से बर्फ पिघलने का रास्ता जरूर खुलेगा। क्योंकि मौजूदा वक्त में चीन भी भारत से संबंधों में सुधार का इच्छुक है। जिस प्रकार चीन की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। भारत में उसकी कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ताइवान का मुद्दा नई चुनौती के रूप में उभर रहा है, ऐसी स्थिति में भारत के साथ संबंधों में सुधार उसके लिए वक्त की जरूरत है। दोनों देशों ने अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों नेताओं की मुलाकात को लेकर अभी भी कूटनीतिक चैनल पर्दे के पीछे से काम कर रहा है। वार्ता के विषय के विभिन्न मु्द्दों को तय किया जा रहा है। मालूम हो कि मोदी-जिनपिंग की पिछली मुलाकात नवंबर 2019 में ब्राजील में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई थी। तब दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ हो रहे थे। इसके बाद जून 2020 में लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं में टकराव होने से रिश्तों में खटास आ गई थी।
ईरान आज एससीओ में शामिल होगा
बता दें कि ईरान अभी तक एससीओ का सदस्य नहीं था, लेकिन इस बैठक में विधिवत उसे शामिल कर लिया जाएगा। इस बारे में एमओयू पहले ही हो चुका है। अगले साल से उसकी सदस्यता पूरी तरह से प्रभावी हो जाएगी।