पाक के F-16 की डिज़ाइन शेयर चीन को न दे, इसी का रिटर्न गिफ्ट है F16 पैकेज?
नई दिल्ली
अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को 450 मिलियन अमेरिकी डालर के F-16 फाइटर जेट बेड़े के रखरखाव कार्यक्रम को मंजूरी मिलने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है. भारत ने अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री को एफ-16 पैकेज पर सख्त संदेश भेजने के बाद अमेरिकी डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन से भी बातचीत कर अपना विरोध दर्ज कराया है. डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान को मिलिट्री सहायता नहीं देने के फैसले को पलटने पर रक्षा मंत्री ने वाशिंगटन से कहा कि उसे इस्लामाबाद को सैन्य सहायता प्रदान नहीं करने की नीति पर कायम रहना चाहिए.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अपने समय में लगातार अमेरिका के पाकिस्तान में बढ़ते प्रभाव को लेकर गंभीर थे. उनके सत्ता से जाते ही शाहबाज सरकार ने एक बार फिर अमेरिका के हितों को क्षेत्र में पोसना शुरू कर दिया है. आर्थिक रूप से तंगी का सामना करने वाले इस इस्लामिक देश को IMF पैकेज और बाढ़ के समय में सहायता पैकेज उपलब्ध कराना दोनों देशों के संबंध सुधारने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है. साथ ही अमेरिका को डर था कि अगर समय रहते पाक के F-16 बेड़े को रखरखाव पैकेज नहीं दिया गया तो वह चीन के साथ विमान का डिज़ाइन शेयर कर सकता है.
अफगानिस्तान में अमेरिका की मदद
द डिप्लोमेट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की सेना ने अल कायदा नेता अयमान अल जवाहिरी के ठिकाने की जानकारी अमेरिकी सेना के साथ साझा की थी. इस खुफिया इनपुट के बाद हुई ड्रोन हमले की कार्यवाई में अमेरिका ने अपने पुराने दुश्मन को मौत के घाट उतार दिया. जवाहिरी की मौत से पहले पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम की मई में वाशिंगटन यात्रा को भी दोनों देशों के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग के रूप में देखा जा रहा है. अमेरिका की रक्षा एजेंसी DSCA ने भी डील के दौरान पाकिस्तान के साथ पुराने आतंक विरोधी कार्यक्रमों में होने वाले दोनों देशों के सहयोग का उदाहरण दिया है. पाकिस्तान की एशिया में जियोपोलिटिकल लोकेशन उसे अमेरिका के लिए अहम बना देता है. साथ ही चीन के साथ उसकी नजदीकी भी अमेरिका को खासा परेशान करती है.
अमेरिका ने कहा F-16 पैकेज नहीं बिगाड़ेगा सैन्य संतुलन
देश की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने पाकिस्तान के लिए F-16 पैकेज को रिलीज करते हुए कहा कि उपकरण और समर्थन की प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र के बुनियादी सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा. अमेरिका ने यह भारत के संभावित विरोध को आंकते हुए पहले ही समझ लिया था. प्रेस रिलीज में एजेंसी ने आगे कहा कि प्रस्तावित डील में कोई नई क्षमता, हथियार या युद्ध सामग्री शामिल नहीं है.