मध्यप्रदेश में रीडेवलपमेंट पॉलिसी तैयार ,पुराने घर के बदले मिलेगा नया घर, कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार
भोपाल
मध्यप्रदेश में निजी जमीनों पर बनी पुरानी बहुमंजिला इमारतों को तोड़ने पर सरकार इंसेंटिव देगी. इससे लोगों को पुराने फ्लैट के एवज में नया फ्लैट मुफ्त मिल सकेगा. यह प्रावधान रीडेवलपमेंट पॉलिसी में किया गया है.
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने रीडेवलपमेंट पॉलिसी तैयार कर ली है. कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह लागू होगी. इसमें शहरी क्षेत्रों में 30 से ज्यादा पुराने आवासीय कॉम्पलेक्स को तोड़कर नई इमारत बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा. इसमें वे इमारतें भी शामिल होंगी जिन्हें नगरीय निकायों ने जर्जर घोषित किया है. सरकार के इस प्रावधान से जिन इलाकों में जमीन की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई है, वहां लोगों को पुराने फ्लैट के स्थान पर नए फ्लैट मुफ्त या फिर मामूली प्रीमियम पर मिल सकते हैं. गौरतलब है कि अभी सिर्फ सरकारी जमीनों के लिए पुनर्निर्माण के लिए रीडेंसिफिकेशन नीति है. अब निजी या विकास प्राधिकरणों और हाउसिंग बोर्ड द्वारा निर्मित कॉलोनियां भी नई नीति के तहत इस दायरे में आ जाएंगी. इस तरह के प्रावधान महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली आदि राज्यों में है.
रहवासी समिति के जरिए बिनेगी नई इमारतें
नई नीति के तहत किसी भी बहुमंजिला इमारत के रीडेवलपमेंट के लिए सबसे पहले वहां रहने वाले रहवासियों की समिति की अनुमति लेनी होगी. यह समिति अपार्टमेंट एक्ट के तहत गठित होगी. यही समिति बिल्डर से पुरानी इमारत तोड़ने और फिर उसी जगह पर नई इमारत बनाने के लिए अनुबंध करेगी.
इस तरह से मिलेगा फायदा
पुरानी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के स्थान पर नई इमारत के निर्माण के लिए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) और ग्राउंड कवरेज का इंसेंटिव दिया जाएगा. इसके लिए भूमि विकास नियम और मास्टर प्लान में बदलाव कर आवासीय बिल्डिंग के लिए मौजूदा एफएआर से 0.50 और कमर्शियल बिल्डिंग के लिए 0.75 ज्यादा एफएआर दिया जाएगा. बिल्डर इस एफएआर का पूरा उपयोग कर सके, इसके लिए ग्राउंड कवरेज भी 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाएगा. इस अतिरिक्त एफएआर व ग्राउंड कवरेज का उपयोग नए निर्माण में किया जाएगा. यानी बिल्डर अतिरिक्त एफएआर में जितने नए फ्लैट का निर्माण करेगा, उसे बेचकर पुराने फ्लैट को तोड़कर नए बनाए गए फ्लैट की लागत वसूलेगा. यदि रहवासी समिति चाहती है कि नए फ्लैट्स का आकार बढ़ाए जाए तो फिर मौजूदा फ्लैट मालिक को निर्माण लागत को कुछ हिस्सा देना पड़ सकता है.
क्या है एफएआर
एफएआर का मतलब यह है कि किसी प्लॉट पर सरकार द्वारा तय किया गया कुल निर्मित क्षेत्र. यानी किसी एरिया में 1.25 का एफएआर है तो वहां कुल जमीन के सवा गुना ज्यादा निर्माण कर सकता है. जैसे 10 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर 12500 वर्गफीट. अब यदि इस पर 0.50 का अतिरिक्त एफएआर और मिल जाए तो अब कुल निर्माण 1.75 गुना या 17500 वर्गफीट हो सकता है. अभी ग्राउंड कवरेज यानी 30 प्रतिशत है यानी 10000 वर्गफीट के प्लॉट पर सिर्फ 3000 वर्गफीट एरिया में ही निर्माण किया जा सकता है. बाकी 7000 वर्गफीट एरिया खाली छोड़ना होता है. अब यह एरिया भी बढ़कर 4000 वर्गफीट हो जाएगा.
ऐसे मिलेगा रीडेवलपमेंट का फायदा
अभी यदि किसी पुरानी इमारत को तोड़ा जाए और फिर उतना ही नया निर्माण किया जाए तो पूरी लागत रहवासियों पर आती है. जबकि अतिरिक्त निर्माण की छूट मिलने से अब बिल्डर उसी जमीन पर बिल्डिंग की ऊंचाई बढ़ाकर ज्यादा फ्लैट्स बना सकता है. इन्हीं अतिरिक्त फ्लैट्स को बेचकर निर्माण लागत कवर की जा सकती है. साथ ही उसका कुछ हिस्सा कमर्शियल इस्तेमाल में करने से मुनाफा कमाया जा सकता है.
इसलिए जरूरी
भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों में बहुमंजिला इमारतों का चलन बढ़ रहा है. अक्सर पुरानी या जर्जर इमारतों को तोड़ने पर विवाद होते रहते हैं. अब नई नीति से रहवासियों को बगैर खर्च के नए फ्लैट मिलेंगे तो आसानी से जर्जर इमारतों को तोड़ा जा सकेगा. नए निर्माण होने से सीवेज लाइन, वाटर सप्लाई लाइन आदि भी नए हो जाएंगे, जिससे मेंटेनेंस खर्च कम होगा. कई पुरानी इमारतों में लिफ्ट और पार्किंग जैसी कई सुविधाएं नहीं है. नए निर्माण में बेहतर लैंडस्केपिंग, पोडियम पार्किंग, लिफ्ट जैसी कई सुविधाएं भी मिल सकेंगी.
भोपाल में यहां मिलेगा फायदा
भोपाल में अंजली कॉम्पलेक्स, शालीमार गार्डन, जनता क्वार्टर्स, सुरेंद्र प्लेस समेत करीब 50 अपार्टमेंट्स में 30 साल से ज्यादा पुराने हैं. इन पर यह नीति लागू होगी.