जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी का बदला समय, पहले दिन ही अव्यवस्था
भोपाल
जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी का समय आज से सुबह 9 से 2 बजे तक कर दिया गया है। इसके चलते पहले दिन अस्पतालों में अव्यवस्था देखने मिली। जेपी अस्पताल में रोजाना की तरह ही काम चलता रहा, डॉक्टरों को इसके बारें में जानकारी नहीं थी। इसलिए अधिकांश चिकित्सक पुराने समय के आधार पर काम करते दिखे। हालांकि सिविल सर्जन डॉ राकेश श्रीवास्तव का कहना है कि इससे मरीजों को लाभ मिलेगा। अब एक साथ दो दिन ओपीडी बंद नहीं रहेगी।
दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर इन अस्पतालों में ओपीडी अब सुबह नौ से दो बजे तक और शाम को पांच से छह बजे तक होगी। वर्ष 2019 से यह समय सुबह नौ से शाम चार बजे तक था। इसमें दोपहर 1:30 बजे से 2:15 बजे तक भोजन अवकाश रहता था। शाम को ओपीडी नहीं होने से सरकारी और निजी कर्मचारी एवं श्रमिक वर्ग के लोग ओपीडी में इलाज के लिए नहीं पहुंच पा रहे थे।
लगातार 2 दिन अवकाश पर दूसरी छुट्टी के दिन दो घंटे की ओपीडी
पहले की तरह यह व्यवस्था भी रहेगी कि अगर लगातार दो दिन अवकाश रहता है तो दूसरी छुट्टी के दिन सुबह नौ से 11 बजे तक ओपीडी में इलाज मिलेगा। यह भी स्पष्ट किया गया है कि आपातकालीन सेवा में जहां तक हो सके, विशेषज्ञों की ड्यूटी न लगाई जाए।
पैथोलाजी सुबह 8 से दोपहर 3 बजे तक
डॉक्टरों की भी मांग थी कि दोपहर में मरीज नहीं आ रहे हैं, इसलिए समय बदल दिया जाए। नई व्यवस्था में सभी चिकित्सक वार्ड का राउंड सुबह 9:30 बजे के पहले पूरा करेंगे। जिन चिकित्सकों के मरीज वार्ड में भर्ती नहीं होंगे, वह सुबह नौ बजे ही ओपीडी में पहुंच जाएंगे। रविवार या अन्य अवकाश के दिन वार्ड में मरीज देखने का समय सुबह नौ से 11 बजे तक होगा। पैथोलाजी सुबह आठ से दोपहर तीन बजे तक खुली रहेगी। स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने कहा कि आदेश शुक्रवार से लागू हो जाएगा।
एम्स: ग्रामीण क्षेत्रों में हेल्थ कैंप लगाने का लिया निर्णय
एम्स भोपाल से जुड़े 200 गांवों के लगभग एक लाख लोगों को घर-घर स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी। बाढ़ग्रस्त गांव समरधा टोला में तीन मल्टी स्पेशियलिटी हेल्थ कैंप की सफलता और सराहना के बाद एम्स प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है। डॉक्टरों के अनुसार कैंप के बाद पता चला कि गांवों में स्वास्थ्य जागरुकता का अभाव है। साथ ही जरूरी इंतजाम नहीं हैं। इसलिए समाजसेवी संगठनों की मदद से ग्रामीणों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए अभियान शुरू किया जाएगा। एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह के नेतृत्व में हेल्थ एजूकेशन और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सोशल आउट रीच सेल का गठन किया गया है।
यह सेल अभियान से जुड़ी प्लानिंग के साथ-साथ गांव-गांव संपर्क करेगी। एम्स के सह अधिष्ठाता शैक्षणिक डॉ. अश्वनी टंडन ने बताया कि 200 गांवों तक पहुंचने का प्रयास होगा। इसके लिए ऐसे दिन चुने जाएंगे, ताकि अधिकांश निवासी लाभान्वित हो सकें। जिन गांवों की आर्थिक स्थिति खराब है, वहां समाज सेवी संगठनों का सहयोग लिया जाएगा।