September 25, 2024

कटनी में नागपंचमी पर लोगों को दर्शन कराने के नाम पर नागों के साथ क्रूरता, धागे से सिल दिया था मुंह

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कटनी
नागपंचमी पर पूजा पाठ के नाम पर लोगों को नागराज के दर्शन कराने सपेरों में क्रूरता की हद पार कर दीं। मूक जीवों के दांत तोड़कर उनका जहर निकाल दिया तो सुई धागे से उनका मुंह सिल दिया। यह बात तब सामने आई जब शहर में नागपंचमी में सपेरों के आने की सूचना मिलने पशु प्रेमियों की टीमों ने पहुंचकर कई स्थानों से सपेरों से सांप छीने और उनका रेस्क्यू किया। इसके बाद वन टीम ने वन विभाग को नागों को सौंपा। दिनभर में पशु प्रेमियों ने 22 नाग-नागिन पिटारियों के साथ जब्त किए। इस बीच सपेरे बचकर भाग निकले।

नगर की पशु प्रेमी अमिता श्रीवास, सतीश सोनी और उनकी टीम के सदस्यों ने वन विभाग को दो दिन पहले से जानकारी देते हुए सपेरों से सांपों को छुड़ाने का अभियान चलाने की बात कही थी। इसके साथ ही इंटरनेट मीडिया पर सूचना प्रसारित कर लोगों से अपील की थी कि यदि कोई भी सपेरा नागपंचमी पर सांप लेकर घूमते मिलता है तो उनको सूचना दें।

शुक्रवार की सुबह से ही उनके पास सूचना पहुंचने लगीं
जिसके बाद टीमों ने नई बस्ती, संतनगर, जालपा देवी वार्ड, पुरानी बस्ती, चांडक चौक, आजाद चौक सहित अन्य स्थानों पर पहुंचकर सपेरों से सांप छुड़ाए। जिसमें तीन फिट से लेकर सात फिट लंबे तक कोबरा प्रजाति के नाग नागिन थे।

काले धागों से सिला था सभी का मुंह
पशु प्रेमियों ने सांपों का रेस्क्यू किया तो सपेरे मौका देखकर भाग निकले। इसके स्थान पर उनकी सपेरों से झड़प भी हुई। रेस्क्यू करने के बाद जब पशु प्रेमियों ने सांपों को ध्यान से देखा तो पाया कि उनके दांत टूटे हुए हैं। सभी के मुंह को काले रंग के धागों से सिल दिया गया था, जिसके चलते वे कुछ भी खाने-पीने में असमर्थ थे। उनको लेकर सुबह से सपेरे गली मोहल्लों में लोगों को नागपंचमी में दर्शन कराकर दक्षिणा वसूल कर रहे थे। पशु प्रेमियों का कहना था कि यदि एक-दो दिन ऐसी ही स्थिति होती तो सांपों की मौत हो सकती थी। सांपों को जिन पिटारियों में रखा गया था, उनमें सुई धागा भी रखा मिला।

दिनभर में टीम ने रेस्क्यू कर 22 सांपों को सपेरों से छुड़ाया
साथ ही सभी को लेकर वन विभाग के रेंजर कार्यालय पहुंची। जहां पर सांपाें के सिले गए मुंह के धागे कटर की सहायता से काटे गए और उसके बाद वन विभाग के साथ मिलकर पशु प्रेमियों ने सभी सांपों को सुरक्षित लखापतेरी के जंगलों में ले जाकर छोड़ा।

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