12 करोड़ सालाना खर्च करने के बाद भी नहीं दूर हो रहा सड़कों से अंधेरा
भोपाल
शहर की गलियों, मोहल्लों और प्रमुख सड़कों से अंधेरा दूर करने के लिए अकेले नगर निगम ही सालाना करीब 12 करोड़ रुपए की बड़ी राशि खर्च कर देता है। बावजूद इसके सड़कों पर पसरा अंधेरा दूर नहीं हो रहा। नगर निगम के बजट में इसके लिए राशि तय की जाती है। इसके अलावा पूरे साल अलग-अलग मद से भी लाइट्स पर खर्चा किया जाता है। सब मिलाकर 12 करोड़ की राशि खर्च कर दी जाती है। अंधेरे के कारण हादसों के डर से रहवासी हमेशा परेशान रहते हैं। इस संबंध में निगम के कॉल सेंटर में रोजाना 10 से 15 शिकायतें दर्ज होती है जिनका निराकरण नहीं हो रहा।
60 से अधिक आपत्तियां, एक भी दूर नहीं
नगर निगम के आॅडिट की जांच करने वाली एजेंसी ने बिजली शाखा के खर्चों और लेने-देन की बीते एक साल में करीब 60 आपत्तियां लगाई थी। अफसरों से सवाल भी हुए, लेकिन जवाब नहीं मिला। यह देखकर कहना गलत नहीं होगा कि बिजली शाखा में बड़े पैमाने में फर्जीवाड़ा चल रहा है।
महीने भर में 10 दिन बंद रहती हैं स्ट्रीट लाइटें
बाग मुगालिया एक्सटेंशन, करोंद, कोलार, अयोध्या बायपास, गांधी नगर, बैरागढ़, होशंगाबाद रोड, आनंद नगर, अशोका गार्डन, ओल्ड सिटी आदि क्षेत्रों की कॉलोनियों की सड़कों पर अक्सर अंधेरा पसरा रहता है। लोग बताते हैं कि घर के सामने माह में दस दिन स्ट्रीट लाइट बंद रहती है। कई बार शिकायत करने पर भी चालू नहीं करते। हम स्ट्रीट लाइट के लिए लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। बारिश में दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।
चार वेंडर तय उन्हीं को दिए जा रहा काम
नगर निगम में सिर्फ चार वेंडर्स को ही अधिक काम मिलता है। बीते दो साल में ही देखें तो करीब 17 करोड़ रुपए का काम दिया गया। बिजली शाखा में नीचले स्तर तक करीब 30 कर्मचारियों का लाइन स्टाफ है। स्ट्रीट लाइट का काम नगर निगम ने अपने स्तर पर अलग-अलग जोन में ठेके पर दिया हुआ है। इसमें संबंधित जोन के इंजीनियर्स की बड़ी मिलीभगत नजर आती है।