रिश्वत लेने वाले पटवारी को पॉच साल कठोर कैद
छतरपुर
नामांतरण करने के एवज में चार हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी लोकायुक्त ने पांच सौ रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकडा था विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, श्री सुधांशु सिंन्हा, छतरपुर के न्यायालय ने पटवारी, जुगराज प्रधान को पॉच साल कठोर कैद एवं जुर्माना की सजा सुनाई। विशेष लोक अभियोजक / एडीपीओ के.के.गौतम ने पैरवी करते हुए साक्ष्य अदालत में पेश किए और लोक सेवक के पद पर पदस्थ रहते हुये भ्रष्टाचार करने के लिए आरोपी को कठोर सजा देने की मांग की ।
जिला अभियोजन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के दिनांक 17 दिसम्बर 2014 को फरियादी सौरभ पाटकार ने आरोपी जुगराज सिंह, पटवारी हल्का कुसमाड़, तहसील बकस्वाहा, के विरुद्ध एक शिकायती पत्र लोकायुक्त कार्यालय सागर में रिश्वत मांग संबंधी इस आशय का प्रस्तुत किया था कि उसने ग्राम कुसमाड़ में 3 एकड़ कृषि भूमि खरीदी है, जिसका नामांतरण होना है, जिसके संबंध में उसने पटवारी जुगराज सिंह को रजिस्ट्री दी तो पटवारी ने नामांतरण करने के लिए 4000 /- रुपये रिश्वत की मांग की गई। फरियादी, आरोपी को रिश्वत नहीं देना चाहता था तथा उसे रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था। उक्त शिकायत पर लोकायुक्त सागर द्वारा ट्रेप कार्यवाही करते हुये दिनांक 20 सितंबर 2014 को बस स्टैण्ड, बक्सवाहा में फरियादी से 500 रुपये रिश्वत लेते हुये आरोपी को रंगे हाथ पकडकर संपूर्ण विवेचना उपरांत मामला न्यायालय में पेश किया गया।
अदालत ने आरोपी पटवारी जुगराज प्रधान, को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) में पॉच साल की कठोर कैद के साथ दस हजार रुपये का जुर्माना एवं धारा 7 में चार साल की कठोर कैद के साथ 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई । न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि लोक सेवक द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या है। जो समाज को खोखला कर रही है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र एवं विधि के शासन की नींव को हिला रहा है। आरोपी को दण्डित किये जाने में नम्र रूख अपनाया जाना विधि की मंशा के विपरीत है और भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है।