November 24, 2024

साइप्रस का मुद्दा उठा भारत ने तुर्की की दुखती रग पर रखा हाथ

0

संयुक्त राष्ट्र

तुर्की के राष्ट्रपति रिचेप तैयप अर्दोआन ने एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में जम्मू-कश्मीर का राग छेड़ा है। भारत की ओर से पहले कड़ी आपत्ति जताने के बाद भी अर्दोआन ने यह रुख अपनाया है। इस पर भारत ने भी तुर्की को घेरते हुए साइप्रस का मुद्दा उठाया है। अर्दोआन के बयान के कुछ घंटों के अंदर ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तुर्की के अपने समकक्ष मेवलुत कावुसोगलु से मुलाकात की और साइप्रस का मुद्दा उठाया। इस मीटिंग की जानकारी देते हुए जयशंकर ने ट्वीट भी किया। उन्होंने लिखा, 'तुर्की के विदेश मंत्री से मुलाकात की और उनसे कई मुद्दों पर बात हुई। इनमें यूक्रेन का संकट. खाद्य सुरक्षा, जी-20 देश और साइप्रस शामिल हैं।'

दरअसल साइप्रस का मुद्दा तुर्की के लिए हमेशा से दुखती रग रहा है और भारत ने कश्मीर पर बोलने के बदले में उसकी इसी नस को दबाया है। भारत की इस कूटनीति को तुर्की के कश्मीर राग का करारा जवाब माना जा रहा है। साइप्रस का संकट 1974 में शुरू हुआ था, जब तुर्की ने हमला करके उसके उत्तरी हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। सैन्य तख्तापलट के चलते साइप्रस में हालात बिगड़ गए थे और उसका फायदा उठाते हुए तुर्की ने यह कब्जा किया था। तब से ही भारत इस बात का पक्षधर रहा है कि इस मामले का हल संयुक्त राष्ट्र के अनुसार निकाला जाए।

साइप्रस का मुद्दा उठा भारत ने रखा दुखती रग पर हाथ

साइप्रस के साथ भारत के हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं और कश्मीर मुद्दों पर वह बीते 5 दशकों से भारत के स्टैंड का समर्थन करता रहा है। जयशंकर और तुर्की के विदेश मंत्री की मुलाकात से कुछ घंटों पहले अर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान को आजाद और संप्रभु मुल्क बने 75 साल गुजर गए हैं, लेकिन अब तक दोनों देशों में शांतिपूर्ण संबंध नहीं हैं। यह दुर्भाग्य की बात है। हम उम्मीद करते हैं कि कश्मीर के मुद्दे का समाधान होगा और वहां स्थायी शांति आ सकेगी। बता दें कि बीते कुछ सालों में कई बार तुर्की के राष्ट्रपति संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठा चुके हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *