पुतिन के आगे झुक गया NATO? लिथुआनिया को देना होगा कालिनिनग्राड के लिए रास्ता
मॉस्को
लिथुआनिया को लेकर रूस और अमेरिका आमने-सामने आ गए थे। रूस और यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिका और अन्य यूरोपीय देश मास्को पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए। इसके बाद नाटो देश लिथुआनिया ने (Lithuania and Russia conflict On Kaliningrad) भी रूस के परमाणु सैन्य किले कैलिनिनग्राद को रेल जरिए जाने वाले सामनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस पर रूस ने लिथुआनिया को चेतावनी दी थी की वह कैलिनिनग्राद पर खुलेआम लगाए गए शत्रुतापूर्ण प्रतिबंधों को तात्काल हटाए। रूस के लिए अच्छी खबर लिथुआनिया और रूस के बीच चल रहे ताजा संघर्ष के बीच यूरोपीय संघ की तरफ से रूस के लिए राहत की खबर है। यूरोपीय संघ के कार्यकारी ने कहा है कि रूस के कैलिनिनग्राद एक्सक्लेव के साथ व्यापार को लेकर मास्को और यूरोपीय संघ के सदस्य लिथुआनिया के बीच तनाव बढ़ने के बाद, स्वीकृत रूसी माल रेल द्वारा ब्लॉक के क्षेत्र में आवाजाही (पारगमन) कर सकता है। यह रूस के लिए राहत की खबर है।
अमेरिका रूस के खिलाफ खड़ा लिथुआनिया के कदम को लेकर रूस ने उसे चेतावनी दी थी, इसको लेकर अमेरिका लिथुआनिया के साथ खड़ा नजर आया था। अमेरिका ने रूस को कहा था कि, किसी भी नाटो देश पर हमला अमेरिका पर हमला माना जाएगा। लिथुआनिया और रूस के बीच क्यों हुई तनातनी यूरोपियन यूनियन और नाटो देशों के बीच बसा रूसी कैलिनिनग्राद शहर रेल के जरिए सामान मंगाता है। कैलिनिनग्राद की गैस सप्लाई भी लिथुआनिया के जरिए होती है।
लिथुआनिया ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह रूस पर लगे प्रतिबंधों की सूची में आने वाले सामानों को रेल के जरिए कैलिनिनग्राद भेजने पर प्रतिबंध लगा रहा है। इसी को लेकर रूस लिथुआनिया पर भड़क गया था। जंग जारी है बता दें कि, रूस और यूक्रेन के बीच पांच महीनों से जंग जारी है और यूक्रेन आज भी जंग की आग में झुलस रहा है। रूस ने उसके कई बड़े शहरों पर कब्जा जमा लिया है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया को चेताया है कि, अगर यह जंग ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले समय में कई देश भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे।