मुंगेली की घटना : पुत्री को अपमानित करने पर विरोध जताने पर हुआ सामाजिक बहिष्कार
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रायपुर
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि मुंगेली के एक परिवार का उनके समाज द्वारा सामाजिक बहिष्कार करने की घटना सामने आई है,प्रताड़ित परिवार के सन्तोष वेनताल ने जानकारी दी है कि उनकी पुत्री के सम्बंध में समाज के ही कुछ व्यक्तियों द्वारा अपमानजनक बातें कहीं गयी ,जिसका विरोध करने पर उन्हें पहले तो समाज से निलंबित कर दिया गया,और कुछ दिनों के अंतराल में समाज से बहिष्कृत कर हुक्का पानी बंद कर दिया गया। जिससे उक्त परिवार परेशानियों में घिर गया है।उक्त परिवार ने डोंगरगांव में शिकायत भी दर्ज की है पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। डॉ मिश्र ने गृह मंत्री को पत्र लिख कर इस मामले को संज्ञान में लेने और कार्यवाही की मांग की है।
डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि उक्त परिवार ने बताया कि पहले तो 6व 7 अगस्त को ग्राम रुद्रागांव थाना डोंगरगांव में सामाजिक बैठक में उनकी पुत्री के सम्बंध में अनावश्यक, अपमानजनक बातें कहीं गईं जिसका विरोध करने पर उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया व उन्हें समाज से बहिष्कृत कर हुक्का पानी बंद कर दिया गया। जिसकी शिकायत उन्होंने डोंगरगांव में की।बाद में 3 सितम्बर को गोबरा नवापारा में बैठक बुलाकर उन्हें बहिष्कृत करने की बात दोहरा कर,बाकी उपस्थित लोगों को भी धमकी देकर उनका साथ देने वाले सदस्यों को बहिष्कार करने की चेतावनी ,व धमकी देकर उन्हें भी चुप करा दिया गया। तब सर उनका परिवार समाज में अकेला पड़ गया है और बहिष्कार का दर्द सह रहा है।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा सामाजिक संगठन सदस्यों के विकास, के लिए बनाए जाते हैं न कि लोगों को प्रताड़ित करने के लिए। किसी भी परिवार की बेटी के सम्मान की रक्षा में सामाजिक संगठनों को सहयोग करना चाहिए न कि उसका अपमान करना चाहिए ऐसे संगठनों की गतिविधियों की जाँच कर कार्यवाही होना चाहिए। डॉ दिनेश मिश्र ने कहा देश का संविधान हर व्यक्ति को समानता का अधिकार देता है।
सामाजिक बहिष्कार करना, हुक्का पानी बन्द करना एक सामाजिक अपराध है तथा यह किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक एवम मानवाधिकारों का हनन है ,प्रशासन को ऐसे मामलों पर कार्यवाही कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की आवश्यकता है, साथ ही सरकार को सामाजिक बहिष्कार के सम्बंध में एक सक्षम कानून बनाना चाहिए।ताकि किसी भी निर्दोष को ऐसी प्रताड?ा से गुजरना न पड़े। किसी भी व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताड?ा देना,उस का समाज से बहिष्कार करना अनैतिक एवम गम्भीर अपराध है। शासन से अपेक्षा है सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून बनाने की पहल करें ताकि प्रदेश के हजारों बहिष्कृत परिवारों को न केवल न्याय मिल सके बल्कि वे समाज में सम्मानजनक ढंग से रह सकें।