September 24, 2024

आईसीजेएस में डाटा करें अपडेट : जस्टिस आर्या

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भोपाल

त्वरित न्याय सुलभ कराने के लिये तथ्यात्मक जानकारियाँ तत्परता से सहज उपलब्ध कराने सभी डाटा इंटेरोपेरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) में निरंतर अपडेट करें। कम्प्यूटर एवं ई-कोर्ट कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस रोहित आर्या ने आज प्रशासनिक अकादमी में कमेटी की अध्यक्षता करते हुए उक्त निर्देश दिये। उन्होंने कम्प्यूटर एवं ई-कोर्ट कमेटी के सभी स्टेक होल्डर के साथ उच्च न्यायालय के विभिन्न प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की। समीक्षा में समिति सदस्य जस्टिस अतुल श्रीधरन, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

ई-कोर्ट कमेटी अध्यक्ष जस्टिस आर्या ने कहा कि सभी स्टेक होल्डर्स के लिये इलेक्ट्रॉनिक डाटा की उपलब्धता और अपडेशन के लिये रोडमेप बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अपराधों की गहन एवं सटीक विवेचना के लिये विवेचना अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिये। उनके द्वारा की गई जाँच के डाटा की सीधे मॉनीटरिंग के लिये डाटा एक्सेस वरिष्ठ अधिकारियों के पास होना चाहिये। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक का अधिकतम इस्तेमाल किये जाने की आवश्यकता है। जस्टिस आर्या ने फॉरेंसिक लेब की संख्या बढ़ाने के साथ लेब में वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ाने और प्रशिक्षित कुशल अधिकारी-कर्मचारियों की नियुक्ति करने के निर्देश दिये।

जस्टिस आर्या ने सभी स्टेक होल्डर्स को आईसीजेएस के डेशबोर्ड पर अपने विभागों से संबंधित जानकारी नियमित रूप से निरंतर अपडेट करने को कहा। उन्होंने कहा कि कोर्ट, पुलिस, जेल, प्रॉसीक्यूशन और एफएसएल के सभी डाटा डेशबोर्ड पर होने से संबंधित विभाग सहजता से जानकारियाँ प्राप्त कर सकेंगे। इससे निर्णयों में न केवल आसानी होगी, बल्कि निराकरण भी शीघ्रता से किया जा सकेगा।

जस्टिस आर्या ने सभी विभागों की जानकारियों को लोक कल्याण और तत्परता से सहज एवं सुलभ न्याय उपलब्ध कराने के लिये कॉमन डेशबोर्ड बनाने पर भी विचार करने को कहा है। उन्होंने नोडल एजेंसी एनआईसी को इस कार्य में आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने के लिये प्रमुख सचिव विज्ञान एवं टेक्नालॉजी को निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि हमें वर्गीकरण करना होगा, जिससे दस्तावेजों को डिजिटाइज किया जा सके। भविष्य में ये डाटा आवश्यकतानुसार उपयोग किये जा सकेंगे।

जिला स्तरीय ई-सेवा केन्द्र कर रहे हैं अच्छा काम

जस्टिस आर्या ने जिलों में संचालित किये जा रहे ई-सेवा केन्द्रों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वे अच्छा काम कर रहे हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर कार्य-योजना बना कर यथाशीघ्र ई-सेवा केन्द्र प्रारंभ किये जायें। ई-सेवा केन्द्रों के शुरू होने से जनता को ऑनलाइन सुविधाएँ मिल सकेंगी।

कम्पाउंडेबल केस का तहसील स्तर पर करें निराकरण

जस्टिस आर्या ने कहा कि ऐसे संज्ञेय अपराध, जिनका निराकरण तहसील स्तर पर किया जा सकता है, उनका ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में संचालित "समाधान कार्यक्रम'' की तर्ज पर निराकरण करने की पहल करें। उन्होंने कहा कि सामान्यत: 8 प्रतिशत प्रकरण निराकरण के लिये सुप्रीम कोर्ट जाते हैं, 15 प्रतिशत प्रकरण हाई कोर्ट में आते हैं और शेष प्रकरण जिला स्तर पर ही निराकृत किये जा सकते हैं। जिला और तहसील स्तर पर प्रकरणों के शीघ्र निराकरण से जनता को राहत भी मिलेगी और अपराधों में भी निश्चित ही कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि ग्वालियर-चम्बल में समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम में राजस्व, पुलिस, फारेस्ट, लोक अभियोजन और बिजली विभाग के मैदानी इकाई द्वारा मिल कर क्रमश: ग्राम पंचायत से तहसील स्तर तक निराकरण के प्रयत्न किया जाना प्रशंसनीय है।

ई-कोर्ट कमेटी मेम्बर श्रीधरन ने भी सभी स्टेक होल्डर्स को मीटिंग के निर्देशों का समय पर पालन करने को कहा है। एसीएस गृह डॉ. राजौरा ने बताया कि रीवा और रतलाम में दो फॉरेंसिक लेब शुरू की जा रही हैं। इसके साथ ही प्रदेश में अब 7 लेब हो गई हैं। उन्होंने बताया कि निरंतर अधो-संरचनात्मक विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। एसीएस वित्त मनोज गोविल, एडीजी पीटीआरआई जी. जनार्दन एवं अन्य अधिकारियों ने भी अब तक उच्च न्यायालय के निर्देशानसार की गई विभागीय कार्यवाही के संबंध में जानकारी दी।

 

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