November 23, 2024

मोहतरा में पुलिस ने मचाया तांडव, दरबाजा तोड़कर घरों से निकाल निर्दोषों को पीटा, महिलाओं को घसीटा, घरों में की तोड़फोड़

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पुलिस की बर्बरता के डर से लोग पलायन करने को मजबूर, खेती-किसानी हुई बर्बाद

कटनी
जिले के बाकल थाना क्षेत्र के ग्राम मोहतरा में पुलिसिया कोहराम ऐसा की किसान खेती भी नहीं कर पा रहे है। मजदूरों के घरों में दाने के लाले पड़े हैं पूरा गांव मानों पलायन कर गया है। गांव को छोड़कर लोग जंगलों, खेतों और यहां वहा भटकने को मजबूर है पुलिस की बर्बरता के डर से लोग अपने घरों में वापस लौटने से कतरा रहे है क्योंकि पुलिस की रोजाना दबिस से लोग पुलिस की बर्बरता और जुल्म को याद करके सहम जाते है यही वजह है की ग्राम मोहतरा के निवासी अब घरों पर रहने से डर रहे है।

यह था मामला
जिले की बहोरीबंद तहसील में तीसरे चरण में मतदान कराए जा रहे थे सभी जगह शांतिपूर्ण ढंग से मतदान संपन्न हुए, लेकिन ग्राम पंचायत मोहतरा में मतगणना को लेकर प्रत्याशियों में गहमागहमी की स्थिति बनी हुई थी और चुनाव का माहौल है तो गहमागहमी आमबात है।

बता दे की मोहतरा ग्राम पंचायत जहां सरपंची चुनाव में काउंटिंग में गड़बड़ी के बाद बवाल हुआ,प्राप्त जानकारी के अनुसार वार्ड 7 से 12 में कुल मत पड़े 563 और काउंटिंग में बताए गए 557 और यही से प्रत्यासियों में गहमागहमी की स्थिति निर्मित हुई।

सरपंच प्रत्यासी विजयशंकर शुक्ला और तुलसीराम पटेल में टक्कर थी सरपंच प्रत्यासी तुलसीराम काउंटिंग के दौरान आगे रहे लेकिन जब विजयशंकर शुक्ला को 2 वोट से जीता घोषित कर दिया गया,वही से बात बिगड़ना शुरू हो गई।वही जब वोटों की रिकाउंटिंग की बात आई तो पीठासीन अधिकारी ने रिकाउंटिंग करने से साफ़ मना कर दिया और पुलिस फोर्स बुला ली, साथ ही काउंटिंग की रिसीविंग भी विजयी घोषित कर विजयशंकर शुक्ला को दे दी गई। जब एजेंटों ने और समर्थकों ने एतराज जताया तो पुलिस ने लाठी चार्ज करते हुए मारपीट और बदसलूकी की बस इसी से ग्रामीण भड़क गए और गुस्साए कुछ लोगों ने पुलिस के वाहनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया जिसमे पुलिस के कुछ वाहनों के शीशे टूट गए और कुछ वाहन छतिग्रस्त हो गए।

दूसरे दिन पुलिस ने मचाया तांडव
मतगणना के दूसरे दिन बलवा सहित अन्य धाराओं पर ग्रामीणों के ऊपर मामला दर्ज करते हुए धरपकड़ चालू की गई,भारी संख्या में पुलिस बल दिन शनिवार को ग्राम मोहतरा पहुंचा और तांडव मचाना शुरू कर दिया,जिस गलियों से पुलिस का काफिला गुजरा उन गलियों में रखें वाहन पूरी तरह से तोड़ दिए गए वाहनों पर लाठी और पत्थरों को पटककर तोड़ दिया गया,घरों में घुसकर सामग्रियों और वाहनों को तोड़ा गया, परिजनों के साथ अभद्रता की गई और गंदी-गंदी गालियां दी गई जिससे महिलाए डर गई और गांव छोड़कर जंगलों , खेतों में चली गई।
बताया गया की महिलाएँ रहम की भीख माँगती रही लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी ना किसी पुलिसकर्मी पर रहम आया। मध्यप्रदेश सरकार "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" की बात करती तो वही पुलिस निर्दोष बेटियों के साथ अभद्रता करते हुए लाठियो से पीट रही है।बच्चो का स्कूल जाना बंद हो गया है बच्चे गांव छोड़कर जंगलों खेतों खलिहानों में रात गुजारने को मजबूर है।

नवभारत की टीम दिन सोमवार को ग्राम मोहतरा पहुंची तो डरे सहमे हुए ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस ने इस कदर बर्बरतापूर्ण कार्यवाही की है कि उन्होने नाबालिग बच्चों को भी नही बख्शा, औरतों, बच्चियों यहाँ तक कि गर्भवती महिलाओं सहित, 3 -5 साल तक के बच्चों तक को नहीं छोड़ा उन्हे भी घसीट घसीटकर जमीन पर पटक कर लाठियो से पीटा गया।

फौजी के घर को किया तहस-नहस
बता दे कि सरहद पर देश सेवा के लिए ड्यूटी दे रहे फौजी परिवार से मारपीट की गई,अंदर से बंद घर के दरवाजे को तोड़कर घर मे रखे सभी सामान को तोड़-फोड़ की गई,घर में रखी टीवी, कूलर पंखा, कुर्शिया, मिक्सी,अलमारी एवं घरों में लगे शीशों को भी तोड़ दिया गया कुलमिलाकर पूरे घर को तहस-नहस कर दिया गया। ग्रामीणों ने कहा मानो कोई गुंडे पहुंच गये हो और घटना को अंजाम दे रहें है।

पुलिस की दबिस,लोग कर रहे पलायन
मोहतरा में हुई बर्बरता के बाद से लोग पलायन कर रहें है। पुलिस की रोज दबिश से लोग पलायन कर यहां वहा भटकने को मजबूर है,अब खेत भी खाली पड़े हैं लोगों की खेती भी बर्बाद हो गई,घर खाली पड़े हैं और सुने घरों में जमकर तोड़फोड़ की जा रही है।

निर्दोषों का क्या कसूर
सवाल ये उठता है कि जिन निर्दोष परिवारों के साथ अत्याचार किया गया घर में घुसकर परिजनों के साथ बदसलूकी की गई आख़िर उन महिलाओं,बहुओं ,बच्चियों का क्या कसूर था जो इस मामले से अंजान थी लेकिन उन्हे भी निशाना बनाते हुए  पुलिसिया बर्बरता का शिकार बनाया गया। लोगों का कहना है कि जिन्होंने असंवैधानिक कार्य किया है, जिन्होंने उपद्रव किया है उन पर कार्यवाही की जाए यह उचित है लेकिन निर्दोषों पर जुल्म करना ठीक नहीं,किसानों को खेती करने से रोकना,मजदूरों को मजदूरी करने से रोकना, महिलाओं बच्चों पर अन्याय करना रास्ते से गुजर रहे लोगों को रोककर धमकियां देना कतई उचित नहीं जान पड़ता है यदि ऐसा अत्याचार जारी रहा तो यह तानशाही रवैया से कम नही कहलाएगा।

इनका कहना है
ओबीसी महासभा न्याय की माँग करती है, ग्रामीण जनता पर किसी भी असंवैधानिक अन्याय को बर्दास्त नहीं किया जाएगा,मामले को गंभीरता से लिया जाए,ओबीसी महासभा अत्याचार के विरुद्ध हमेशा खड़ी है और खड़ी मिलेगी।
राकेश सिंह, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष, ओबीसी महासभा

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