November 24, 2024

तारीख पर तारीख नहीं, ओडिशा हाई कोर्ट के जज ने एक दिन में 32 मामलों में सुनाया फैसला

0

 भुवनेश्वर
 
देश भर के हाई कोर्ट्स में बड़ी संख्या में केस लंबित हैं। इस बीच ओडिशा उच्च न्यायालय के सीनियर जज ने एक दिन में 32 मामलों में फैलाया सुनाया है। अधिकारियों ने बताया कि जस्टिस देवव्रत दास की अध्यक्षता वाली सिंगल बेंच ने ये फैसले सुनाए। एकल न्यायाधीश की पीठ ने सोमवार को 32 मामलों में फैसला सुनाया, इनमें से ज्यादातर राज्य में अपीलीय सिविल अदालतों के आदेश को चुनौती देने वाली दूसरी अपील हैं। 32 में से 31 मामले दूसरी अपील से जुड़े हैं, जिनमें से कई 1988-1990 के बीच के हैं।

गंगाधर प्रधान नाम के एक व्यक्ति ने 1990 के एक मामले में दूसरी अपील दायर की थी। इसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस ने बालासोर जिले में सरस्वती शिशु विद्या मंदिर को जमीन की बिक्री में यथास्थिति के दावे को बरकरार रखा। प्रधान ने 1990 में यह अपील करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था कि उनके विरोधी पक्ष ने संपत्ति का कुछ हिस्सा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के अधिकारियों को बेच दिया।

एक अन्य मामले में जस्टिस देवव्रत दास ने कालाहांडी के जिला कलेक्टर की अपील को बरकरार रखा, जिन्होंने 1999 में प्रहलाद अघरिया नाम के एक शख्स और अन्य लोगों की ओर से सरकारी भूमि के अतिक्रमण के खिलाफ उड़ीसा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

ओड़िशा एचसी में अतिरिक्त स्थायी वकील समरेश जेना ने कहा कि एक ही दिन में 32 मामलों पर फैसला सुनाना अहम है। हालांकि, उच्च न्यायालय में लंबित मामलों को कम करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। जेना ने कहा, '23 सितंबर तक 1.72 लाख केस हाई कोर्ट में लंबित थे, जिनमें से 67000 से अधिक मामले दीवानी रिट याचिका से जुड़े हैं। लगभग 20000 मामले आपराधिक अपील के लंबित हैं। अदालतों को बैकलॉग को जल्द दूर करने की जरूरत है।'

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *