सैलजा vs हुड्डा का शो हरियाणा कांग्रेस में जारी; नेता प्रतिपक्ष, पार्टी प्रमुख के पद के लिए हो रही गुटबाजी
चंडीगढ़.
हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार से शुरू होने वाला हरियाणा विधानसभा का आगामी सत्र विपक्ष के नेता के बिना ही शुरू किया जाएगा। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस ने अभी तक अपने विधायक दल के नेता की नियुक्ति नहीं की है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की लगातार तीसरी हार के बाद पार्टी की अंदरूनी स्थिति फिलहाल सही नहीं है। सिरसा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच गुटबाजी के कारण नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा में देरी हो रही है। वहीं पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के बाद इसकी घोषणा की जाएगी।
इस मामले पर सवाल पूछे जाने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि पार्टी हाईकमान फिलहाल चुनाव में व्यस्त है। उन्होंने कहा, "हमारे वरिष्ठ नेता महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों में व्यस्त हैं। हमने पहले ही एक प्रस्ताव पारित किया है जिसके तहत हाईकमान को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने की अनुमति दी गई है।" इससे पहले पार्टी अध्यक्ष उदयभान ने बालमुकुंद शर्मा को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है जिससे सियासी पारा और चढ़ता नजर आ रहा है। बालमुकुंद शर्मा ने एक टीवी बहस में दावा किया था कि सैलजा खेमे के पांच बार के विधायक चंद्र मोहन और हुड्डा खेमे से चार बार के विधायक अशोक अरोड़ा इस पद की दावेदारी पेश कर रहे थे।
पार्टी की सिरदर्दी
भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच की दरार पार्टी के लिए सिरदर्दी बनी हुई है। पार्टी हाईकमान को इन दोनों गुटों को संतुलित करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। द ट्रिब्यून के मुताबिक अगर नेता प्रतिपक्ष का पद हुड्डा या उनके खेमे में जाता है तो राज्य पार्टी अध्यक्ष पद का पद सैलजा समूह के किसी सदस्य को मिल सकता है। इस बीच कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन, छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा सहित वरिष्ठ नेताओं की एक टीम बनाई है जो विधायकों से इन पदों पर उनकी पसंद पर विचार विमर्श करेगी। खबरों के मुताबिक 18 अक्टूबर को चर्चा के दौरान 37 में से 30 से अधिक विधायकों ने हुड्डा के पक्ष में समर्थन दिया था।
क्या कह रहे हैं विधायक?
नाम न बताने की शर्त पर पांच बार के कांग्रेस विधायक ने बताया, "प्रस्ताव को एक महीना बीत चुका है और अभी तक कोई घोषणा नहीं की गई है। विधायक दल के नेता के लीडर ऑफ ऑपोजिशन बनने की उम्मीद है फिर भी सत्र बिना किसी नाम की घोषणा के शुरू होगा क्योंकि हाईकमान का ध्यान फिलहाल महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों पर है।" हुड्डा के खेमे के एक कांग्रेस विधायक ने कहा, "विधायक दल का नेता और राज्य पार्टी अध्यक्ष को चुनने में जातिगत संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। 2007 से पार्टी अध्यक्ष पद पर दलित नेता (फूल चंद मुलाना, अशोक तंवर, सैलजा और उदय भान) काबिज हैं, जबकि हुड्डा और किरण चौधरी (अब भाजपा में) जैसे जाट नेताओं ने कांग्रेस विधायक दल का नेतृत्व किया है।" उन्होंने कहा, "हुड्डा 2005 से 2014 तक सीएम रहे और 2014 की हार के बाद किरण विधायक दल की नेता बनीं हालांकि घोषणा में देरी हुई। 2019 के चुनावों से ठीक पहले हुड्डा फिर से विधायक दल के नेता बने और तब से विधायक दल के नेता बने हुए हैं।"
बीजेपी का तंज
इधर प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उदय भान हाल ही में होडल से विधानसभा चुनाव हार गए और उन्हें बदले जाने की संभावना है। इस बीच कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए संसदीय कार्य मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा, "आज तक वे नेता प्रतिपक्ष का चयन भी नहीं कर पाए हैं। लोग अपनी चिंताओं को उठाने के लिए न केवल सरकार बल्कि विपक्षी नेताओं की ओर भी देखते हैं। नेता प्रतिपक्ष के बिना जनता उनसे क्या उम्मीद कर सकती है?"