कांग्रेस को हिमाचल में बड़ा झटका, कार्यकारी अध्यक्ष हर्ष महाजन भाजपा में शामिल, आखिर क्यों छोड़ा हाथ
धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हर्ष महाजन ने पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। हर्ष महाजन ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली। हर्ष महाजन हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का बड़ा चेहरा थे। यह कांग्रेस को बड़ा झटका माना जा रहा है, वह वीरभद्र सिंह के खास थे। 15 साल पहले उन्होंने चंबा विधानसभा क्षेत्र से आखिरी बार चुनाव लड़ा था।
पारिवारिक कारणों से वह चंबा छोड़कर शिमला चले गए थे। इस दौरान उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन चंबा हलके में आज भी उनका दबदबा है। वह अकसर चंबा आते रहते हैं। उनके पिता देशराज महाजन भी हिमाचल सरकार के मंत्री रहे थे। हर्ष महाजन पार्टी के अहम पदों पर लंबे समय तक सेवाएं देते रहे हैं। वर्तमान में वह कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर सेवाएं दे रहे थे। वह चंबा जिला की सदर सीट से विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा पूर्व में कांग्रेस सरकार के दौरान पशुपालन मंत्री और 2012 से 17 तक राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन के पद पर भी रह चुके हैं।
कांग्रेस के रणनीतिकार हर्ष, वीरभद्र के रहे करीबी
हर्ष महाजन लंबे समय से राजनीति से जुड़े हैं और राजनीति में रणनीति और प्लानिंग के लिए जाने जाते हैं। पहले कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स के नजदीकी माने जाते थे। लेकिन 2009 के बाद से लगातार पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के नजदीक आ गए। वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उनके परिवार के भी नजदीकी रहे। लेकिन विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया।
आखिर क्यों छोड़ा कांग्रेस का दामन
हर्ष महाजन पार्टी के बहुत पुराने सिपाही थे, उन्होंने आखिर चुनाव से पहले पार्टी का दामन क्यों छोड़ा? यह सवाल हर किसी के जहन में है। बताया जा रहा है वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस में बिखराव की स्थिति भी इसका कारण है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एकछत्र नहीं हैं। हर वरिष्ठ नेता खुद को सीएम फेस का दावेदार मान रहा है व हर नेता अपनी राह पर चल रहा है। कुछ लोग टिकट चयन को लेकर हुए निर्णयों को भी इसके पीछे मान रहे हैं। खैर अभी तक हर्ष महाजन ने पार्टी छोड़ने की वजह नहीं बताई है।
नवंबर में होंगे विधानसभा चुनाव
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव नवंबर माह के दूसरे या तीसरे सप्ताह में हो सकते हैं। चुनाव आयोग की टीम भी बीते दिनों प्रदेश में स्थिति का जायजा लेकर लौट गई है। चुनाव आयोग की टीम ने भी नवंबर में चुनाव करवाने की बात कही थी। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में आदर्श आचार संहिता लगना तय माना जा रहा है।