November 25, 2024

दिग्विजय सिंह को मौका, अशोक गहलोत को ‘धोखा’, सोनिया गांधी समय न देकर क्या कर रही हैं प्लान

0

नई दिल्ली
कांग्रेस की राजनीति में अलग ही नजारा देखा जा रहा है। एक ओर जहां पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारने का फैसला कर लिया है। वहीं, गांधी परिवार के वफादार माने जाने वाले अशोक गहलोत सोनिया से मिलने तक की बांट जोह रहे हैं। पार्टी आलाकमान ने उन्हें अब तक मिलने का वक्त नहीं दिया है। कांग्रेस के इस रुख से उनकी भविष्य की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत बुधवार को ही दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे। दो दिन से अटकलें हैं कि वह सोनिया से मुलाकात करने वाले हैं, लेकिन अब तक मीटिंग अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है। वह लगातार आलाकमान की तरफ से मीटिंग के लिए समय का इंतजार कर रहे हैं। खबरें हैं कि रविवार को जयपुर में गहलोत समर्थक विधायकों की बगावत से गांधी परिवार खासा नाराज हो गया था।

क्या नाराज है गांधी परिवार?
रविवार को राजस्थान में करीब 90 विधायकों के कथित इस्तीफे के बाद सियासत गर्मा गई थी। उस दौरान गहलोत समर्थक कहे जा रहे विधायक बड़ी संख्या में स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर पहुंच गए थे। इधर, विधायकों से मिलने का इंतजार कर रहे अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे बगैर बैठक के ही दिल्ली रवाना हो गए। कहा जा रहा है कि इस सियासी घटनाक्रम के चलते गांधी परिवार खासा नाराज हो गया था।

राजस्थान में क्या हुआ था?
जयपुर में विधायक रविवार को मंत्री शांतिलाल धारीवाल के आवास पर मिले और इसके बाद सभी स्पीकर जोशी के आवास पर पहुंच गए। खास बात है कि यह बैठकें ठीक उसी समय हुईं, जब कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग तय थी। इसके लिए दिल्ली से पर्यवेक्षक के रूप में माकन और खड़गे पहुंचे थे। बैठक नहीं होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में माकन ने इसे अनुशासनहीनता बताया था। दरअसल, यह कहा जा रहा है कि गहलोत समर्थक विधायक सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं का विरोध कर रहे थे।

गहलोत की प्रतिक्रिया
खबरें आई कि गहलोत ने खड़गे से मिलकर जयपुर में हुए सियासी घटनाक्रम पर माफी मांगी थी। जबकि, खड़गे का कहना था कि इस तरह की बगावत उनकी सहमति के बगैर नहीं हो सकती। 71 वर्षीय नेता विधायकों की प्रतिक्रियाओं से पल्ला झाड़ते भी नजर आए। उन्होंने कहा कि इससे उनका कोई लेना देना नहीं है। कहा जा रहा है कि वह सोनिया से फोन पर बात कर भी सफाई दे चुके हैं।

गहलोत पर दबाव की राजनीति!
कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग मान रहा है कि सिंह को मैदान में उतारना गहलोत को लेकर दबाव की राजनीति का हिस्सा हो सकता है। इसके जरिए पार्टी यह संदेश देना चाहेगी कि वह सचिन पायलट के साथ अपनी जंग छोड़कर पार्टी प्रमुख के लिए तैयारी करें। सूत्रों ने यह भी बताया था कि राजस्थान  में सियासी संकट के चलते ही सिंह अध्यक्ष पद की रेस में दोबारा शामिल हुए हैं।

8 अक्टूबर को साफ होगी स्थिति
कांग्रेस की तरफ से जारी चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, 24 सितंबर से शुरू हुई नामांकन प्रक्रिया का शुक्रवार यानी 30 सितंबर को अंतिम दिन है। कल ही थरूर और दिग्विजय दोनों नामांकन दाखिल कर सकते हैं। भले ही शुरुआती तौर पर मामला थरूर बनाम दिग्विजय नजर आ रहा हो, लेकिन असल स्थिति 8 अक्टूबर को साफ होगी। दरअसल, 8 अक्टूबर को नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *