September 22, 2024

एकात्म मानव दर्शन, भारतीय संस्कृति व राष्ट्रवादी विचार का पोषक है – जनार्दन मिश्रा

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जन अभियान परिषद द्वारा व्याख्यानमाला का हुआ आयोजन
रीवा

एकात्म मानववाद राष्ट्रीय विचार की एक सामान्य चेतना को समर्पित है। एकात्म मानववाद स्वदेशी सामाजिक आर्थिक माडल प्रस्तुत करता है। जिसमें विकास के केन्द्र में सामान्य मानव है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपने दर्शन में पश्चिमी पूंजीवादी व्यक्तिवाद का विरोध करते हुए आधुनिक तकनीक एवं पश्चिमी विज्ञान का स्वागत किया। वह पूंजीवाद एवं समाजवाद के मध्य एक ऐसी राह के पक्षधर थे जिसमें दोनों प्रणालियों के गुण तो मौजूद हो लेकिन उनके अतिरेक एवं अलगाव जैसे अवगुण न हो। दीनदयाल जी ने अपने दर्शन में केवल मानव के शरीर एवं मन की आवश्यकताओं पर बात न करते हुए मानव के संपूर्ण विकास के लिए आत्मिक विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उक्त विचार सांसद जनार्दन मिश्रा ने म.प्र. जन अभियान परिषद द्वारा आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती सप्ताह अन्तर्गत आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में व्यक्त किये।

व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कुलपति डॉ. राजकुमार आचार्य ने बताया कि एकात्म मानववाद का उद्देश्य प्रत्येक मानव को गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करना है। अंत्योदय अर्थात समाज के निचले स्तर पर स्थित व्यक्ति के जीवन में सुधार करना है। अत: यह दर्शन न केवल भारत अपितु सभी विकासशील देशों में सदैव प्रासंगिक रहेगा। यह मानव कल्याण के समग्र विचार का समर्थन करता है। एकात्म मानववाद का दर्शन अनियंत्रित उपभोक्तावाद तथा तीव्र औद्योगिकरण का विरोध करता है क्योंकि इसका लाभ सर्वाधिक निर्धन व्यक्ति तक नहीं पहुंचता। यह सिद्धांत वर्तमान समय के सभी के लिए समावेशी विकास के संदर्भ में अत्यधिक प्रासंगिक है। एकात्म मानववाद का दर्शन लोकतंत्र, सामाजिक समानता तथा मानवाधिकारों के विचारों का भी समर्थन करता है, चूंकि सभी धर्मों और जातियों का सम्मान तथा उनकी समानता धर्मराज्य की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है।

व्याख्यान कार्यक्रम में विश्वविद्यालय अद्वैव दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीकांत मिश्रा ने कहा कि एकात्म मानववाद का लक्ष्य प्रत्येक मनुष्य को गौरवपूर्ण जीवन प्रदान करना है। इस प्रकार यह उन सिद्धांतों और नीतियों को प्रोत्साहित करता है जो श्रम, प्राकृतिक संसाधन तथा पूंजी के उपयोग को संतुलित करने में सक्षम हो। कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन संभागीय समन्वयक जन अभियान परिषद प्रवीण पाठक द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि जन अभियान परिषद द्वारा प्रदेश के समस्त जिला व संभाग मुख्यालयों में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद व एकात्म मानव दर्शन पर आधारित व्याख्यान कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें पंडित दीनदयाल जी के जीवन दर्शन व कृतित्व से समाज को जोड़ा जा रहा है। कार्यक्रम को उच्च शिक्षा विभाग के अपर संचालक डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन विकासखण्ड समन्वयक सुषमा शुक्ला द्वारा एवं आभार प्रदर्शन अजय चतुर्वेदी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में जिले के सभी विकासखण्डों से सामाजिक कार्यकर्ता, स्वयंसेवी संगठन, जन अभियान परिषद से संबंद्व परामर्शदाता, प्रस्फुटन समिति के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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