लोगों के ‘घर’ के सपने को पीएम मोदी ने किया पूरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने अपने राजनीतिक एजेंडे या घोषणापत्र की ज्यादातर बातों को पूरा करने की कोशिश की है। नरेंद्र मोदी 2014 में 'अच्छे दिन' के वादे के जरिए सत्ता पर काबिज हुए थे और साल 2022 में उन्होंने 'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान' का नारा दिया। इस दौरान केंद्र सरकार की उपलब्धियों पर गौर करें तो देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में देश का सम्मान बढ़ा है।
जीवन जीने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है अपना घर। प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़कर करोड़ों लोगों को देश में अपना घर मिल चुका है। केंद्र सरकार पीएम आवास योजना के तहत गरीबों को घर देने का काम कर रही है। इससे देश भर में लाखों परिवारों का अब तक पक्का घर का सपना पूरा हो चुका है। मोदी सरकार की पीएम आवास योजना का उद्देश्य गरीबों को सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोदी सरकार तीन करोड़ से ज्यादा पक्के घरों का निर्माण कर चुकी है। इसकी जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने खुद 8 अप्रैल 2022 को एक ट्वीट के जरिए दी कि देश के हर निर्धन को पक्का घर देने के लिए सरकार महत्त्वपूर्ण कदम उठा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत तीन करोड़ से अधिक मकान बनाए जा चुके हैं। अपने ट्वीट संदेश में कहा, "देश के हर गरीब को पक्का मकान देने के संकल्प में हमने एक अहम पड़ाव तय कर लिया है।
जन-जन की भागीदारी से ही तीन करोड़ से ज्यादा घरों का निर्माण संभव हो पाया है। मूलभूत सुविधाओं से युक्त ये घर आज महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी बन चुके हैं।" इन घरों में शौचालय की भी व्यवस्था है। इतना ही नहीं, इनमें बिजली का कनेक्शन भी है। उजाला योजना के तहत एलईडी बल्ब ही नहीं, बल्कि उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन भी पात्र लोगों को दिया गया है। इन सुविधाओं से ग्रामीण भारत की तस्वीर बहुत तेजी से बदल रही है।
मालूम हो, 25 जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) की शुरुआत हुई, जिसके तहत गरीब परिवारों को योजना का लाभ दिया जाता है। इस योजना के तहत उन लोगों को लाभ दिया जाता है, जिनके पास पक्के घर नहीं है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से गरीबों को पक्के मकान के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। मैदानी एरिया में घर बनवाने पर 1,20,000 रुपए व पहाड़ी क्षेत्र में 1,30,000 रुपए की मदद दी जाती है।