November 24, 2024

I2U2: चीन के आक्रामक रुख पर भारत का कूटनीतिक प्रहार, अमेरिका-इजरायल और UAE के साथ ड्रैगन की घेराबंदी

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 नई दिल्ली।
 
भारत-इजरायल, अमेरिका और यूएई का नया समूह आई2यू2 को चीन के आक्रामक रुख के विरुद्ध भारत का एक और कूटनीतिक प्रहार माना जा रहा है। प्रत्यक्ष रूप से यह समूह समुद्री परिवहन, आर्थिक प्रगति और भविष्य की प्रमुख चुनौतियों से निपटने के लिए बनाया गया है, लेकिन जिस प्रकार क्वाड के जरिये पूर्व में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की घेराबंदी हुई है, उसी प्रकार इस समूह के जरिये भी चीन की आर्थिक घेरेबंदी कर कूटनीतिक संदेश दिया गया है। इससे पश्चिम एशियाई देशों में चीन का प्रभाव कम होगा और कूटनीतिक चिंताएं बढ़ेंगी। आई2यू2 के गुरुवार को हुए पहले शिखर सम्मेलन में हालांकि प्रधानमंत्री ने ज्यादा जोर वैश्विक आर्थिक प्रगति, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा पर जोर दिया, लेकिन उसमें भी अपनी आर्थिक प्रगति पर इतरा रहे चीन के लिए स्पष्ट संकेत है कि यह समूह विश्व में आर्थिक ताकत के रूप में उभरेगा।

ऐसे बना आई2यू2
दरअसल, अमेरिका, इजरायल एवं यूएई के बीच 2020 में हुए अब्राह्म समझौते में पिछले साल भारत का प्रवेश हुआ था। तब इसे इंटरनेशनल फोरम ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन का नाम दिया गया था। पिछले साल अक्तूबर में समूह की औपचारिक बैठक भी हुई थी। बाद में यह नये समूह आई2 यानी इंडिया और इजरायल और यू2 अमेरिका और यूएई में परिवर्तित हुआ।

इसलिए महत्वपूर्ण है यह समूह
विशेषज्ञों के अनुसार, पड़ोसी देश चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारत का अधिक से अधिक ताकतवर देशों के साथ साझेदारी कूटनीतिक रूप से अहम है। अमेरिका भी विश्व में चीन के प्रभाव को सीमित करना चाहता है। जबकि यूएई ने हाल के दिनों में अपना फोकस गैर तेल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाया है, क्योंकि भविष्य में तेल से मुनाफा घटेगा क्योंकि दुनिया हरित ऊर्जा की ओर बढ़ रही है। इसी प्रकार इजरायल ने भी अपनी वैश्विक नीति में बदलाव किया है। वह अलग-थलग रहने की बजाय समूह में जुड़ने को प्राथमिकता दे रहा है। वैसे भी, इजरायल के लिए भारत के साथ-साथ यूएई भी बड़ा रक्षा खरीदार है।

 

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