234 मौकों पर उड़ान नहीं भर पाया अमेरिका का एफ-35,दक्षिण कोरिया अब पछता रहा
सियोल
अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने वाला दक्षिण कोरिया अब पछता रहा है। दक्षिण कोरिया के एफ-35 लड़ाकू विमान तकनीकी खराबी के कारण उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। पिछले 18 महीने में 234 मौकों पर इन लड़ाकू विमानों को उड़ान भरने के लिए तैयार नहीं पाया गया। जिसके बाद अमेरिका के इस सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान की क्षमता पर भी सवाल उठने लगे हैं। अमेरिका का एफ-35 पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है। अमेरिका का दावा है कि इस लड़ाकू विमान में रडार को चकमा देने की क्षमता है। दत्रिण कोरिया ने अमेरिका से 40 एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदे थे।
234 मौकों पर उड़ान नहीं भर पाए एफ-35
योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार, दक्षिण कोरिया के सत्तारूढ़ पीपल पावर पार्टी के सांसद शिन वोन-सिक ने वायु सेना के आंकड़ों का हवाला देते हुए एफ-35 की कमजोरियां गिनाई। उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीनों के दौरान 172 मामलों में तो अमेरिका से खरीदे एफ-35 विमान को उड़ान भरने योग्य ही नहीं पाया गया। वहीं, 62 मामले ऐसे भी थे, जिसमें एफ-35 लड़ाकू विमान उड़ान भर सकते थे लेकिन वे मिशन को पूरा करने में असमर्थ थे।
दक्षिण कोरियाई सांसद ने वायु सेना को खूब सुनाया
सांसद सिन वोन-सिक ने वायु सेना के डेटा का खुलासा करते हुए कहा कि दक्षिण कोरियाई सेना को न केवल इस तरह के शक्तिशाली वेपन सिस्टम को शामिल करने बल्कि उन्हें हमेशा ऑपरेशनल बनाए रखने के लिए भी जोरदार कोशिश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीन पर धूल फांक रहे एफ-35 लड़ाकू विमान पिथले साल औसतन सिर्फ 12 दिन और उसके पहले के छह महीनों में 11 दिन ही मिशन को अंजाम दे सके। इनकी तुलना में दक्षिण कोरियाई वायु सेना में शामिल F-4E और F-5 जैसे पुराने लड़ाकू विमानों को 18 महीने में सिर्फ 26 और 28 बार ही ग्राउंडेड किया गया।
दक्षिण कोरियाई वायु सेना ने बताई परेशानी
दक्षिण कोरियाई वायु सेना ने कहा कि उन्हें अपनी तैयारी को बनाए रखने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने दावा किया कि एफ-35ए लड़ाकू विमान ने का ऑपरेशनल रेट 75 फीसदी के आसपास था। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि हाल में ही शामिल किए गए मॉडल में कुछ तकनीकी खामिया हैं। उन्होंने दावा किया इस समस्या को दूर करने के लिए हम निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन के साथ लगातार संपर्क में हैं।
एफ-35 कितना ताकतवर?
अमेरिका में बना एफ-35 लड़ाकू विमान वर्टिकल-टेक ऑफ और लैंडिंग तकनीकी से लैस है। एफ-35 के पहले प्रोटोटाइप ने 15 दिसंबर 2006 को पहली बार उड़ान भरी थी। लॉकहीड मार्टिन ने अबतक एफ-35 की 770 यूनिट का निर्माण किया है। एक एफ-35 लड़ाकू विमान की कीमत 122 मिलियन डॉलर है। इस विमान के तीन वेरिएंट्स को बनाया गया है। इसका इस्तेमाल अमेरिकी नौसेना, वायु सेना के अलावा मरीन कॉप्स करती है। अमेरिका ने एफ-35 लड़ाकू विमान को दुनिया के कई देशों को बेचा है। इनमें यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, इटली, कनाडा, नीदरलैंड, नॉर्वे, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया, तुर्की, इजरायल और जापान या तो इसे ऑपरेट कर रहे हैं या फिर खरीदने की प्रक्रिया में हैं।