राष्ट्रपति चुनाव : यशवंत सिन्हा के बाद द्रौपदी मुर्मू भी पहुंची भोपाल
भोपाल
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश में सिसायत तेज हो गई है। भाजपा जहां अपने सभी विधायकों के वोट भाजपा अपने राष्टÑपति के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को कराने को लेकर सक्रिय हैं। इसके चलते उसने पार्टी से नाराज चल रहे मैहर विधायक को मना लिया है। जबकि कांग्रेस के एक दर्जन के लगभग आदिवासी विधायकों का यूपीए की ओर से राष्टÑपति चुनाव के प्रत्याशी यशवंत सिंहा की बैठक में शामिल नहीं होने से उसे बगावत की आशंका सताने लगी है। ये अनुपस्थिति उस दौरान रही जब कांग्रेस ने राष्टÑपति चुनाव की वोटिंग को लेकर व्हिप जारी कर दिया है।
राष्टÑपति पद के प्रत्याशी यशवंत सिंहा की बैठक में करीब एक दर्जन कांग्रेस के विधायकों की अनुपस्थिति ने पार्टी नेताओं की धड़कन बढ़ा दी है। इस बैठक में शामिल नहीं होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या आदिवासी विधायकों की ही थी। इसके चलते अब पार्टी को बगावत का डर भी सताने लगा है। इस अनुपस्थिति के बाद कांग्रेस ने राष्टÑपति चुनाव के चलते अपने आदिवासी विधायकों पर नजर गढ़ा दी है।
सूत्रों की मानी जाए तो कांग्रेस तो गुरुवार को हुई बैठक में करीब एक दर्जन आदिवासी विधायक शामिल नहीं हुए। इनकी अनुपस्थित को लेकर बैठक में पीसीसी चीफ कमलनाथ ने सफाई भी दी कि अनुपस्थित विधायक पंचायत चुनाव की काउंटिंग में व्यस्त हैं, इसलिए नहीं आ सकें। उनकी सभी से बात हो चुकी है। इतनी बड़ी संख्या में आदिवासी विधायकों की अनुपस्थित को लेकर कांग्रेस अंदर ही अंदर चिंतित हो उठी हैं। इसके चलते कांग्रेस के कई नेताओं को इस विधायकों से लगातार संपर्क बनाने को कहा गया है। भाजपा ने दोपद्री मुर्मू आदिवासी हैं और अब कांग्रेस को आदिवासी विधायकों की बगावत का डर सताने लगा है।
ये नहीं रहे मौजूद
बताया जाता है कि कांग्रेस के आदिवासी विधायकों में से फुंदेलाल मार्को, ओमकार सिंह मरकाम, अर्जुन सिंह काकोडिया, सुनील उइके, कमलेश शाह, निलेश उइके, धरमू सिंह सिरयाम, घूमा सोलंकी, चंद्रभागा किराडे, सुरेंद्र सिंह बघेल हनी, हर्ष गेहलोत बैठक में शामिल नहीं हुए। हालांकि इसमें से कई ऐसे हैं जो यह दावा कर रहे हैं कि वे पार्टी के निर्णय के साथ ही जाएंगे।
कुछ अन्य विधायकों से भी मुलाकात
सीएम चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की आज कुछ अन्य बीजेपी विधायकों से भी मुलाकात हुई है। ये ऐसे विधायक हैं जो पूर्व में किसी न किसी रूप में पार्टी के फैसलों पर असहमति जता चुके हैं। चुनाव की वोटिंग के चलते पार्टी किसी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहती, इसलिए सभी को पार्टी के फैसले के मुताबिक वोटिंग करने की समझाईश दी जा रही है।