जम्मू कश्मीर में सरकार की बड़ी तैयारी! पाक से बसने वाले भी डाल सकेंगे वोट
श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में हालात निरंतर सुधर रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बारामूला में रैली पिछले 35 सालों में किसी केंद्रीय मंत्री की पहली राजनीतिक रैली थी। इससे पहले घाटी में सिनेमा हॉल का खुलना और डेढ़ सालों के भीतर बड़ी संख्या में पर्यटकों की आवाजाही इसका सबूत है। अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं की नई सूची तैयार की जा रही है।
चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि सूची में नए नाम जोड़कर जम्मू-कश्मीर के सभी मतदाताओं को समान अवसर दिये जाएं। इस सूची में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीरी और पाकिस्तान के लोग भी शामिल हैं, ये वे लोग हैं जो अब घाटी में शांति के साथ रह रहे हैं। लोकसभा चुनाव में तो इन्हें वोटिंग का मौका मिला था लेकिन, अभी तक विधानसभा चुनाव में मतदान का हिस्सा नहीं बन पाए थे।
इस नई व्यवस्था में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग भी हैं, जो वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं और उनके नाम भी मतदाता सूची में जोड़े जाएंगे। जम्मू-कश्मीर के पंजीकृत मतदाताओं के लिए एक मौजूदा प्रावधान है, लेकिन जो वर्तमान में अपना वोट डालने के लिए जम्मू और कश्मीर में नहीं रह रहे हैं। इन मतदाताओं को उन शहरों में वोट डालने का मौका मिलेगा जहां वे रहते हैं। उनकी सूची भी अपडेट की जा रही है और सत्यापन की प्रक्रिया जारी है।
घाटी में सुधर रहे हालात
सरकार के आंकलन के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में घाटी में जमीनी स्थिति में काफी सुधार हुआ है। 5 अक्टूबर को, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बारामूला में एक राजनीतिक रैली को संबोधित किया, जहां उत्तरी कश्मीर के बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों से बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और 'भारत माता की जय' के नारे लगाए।
35 सालों क्या-क्या बदल रहा
पिछले 35 वर्षों में किसी केंद्रीय मंत्री द्वारा इस तरह की यह पहली राजनीतिक रैली थी। पिछले महीने, घाटी में कुछ सिनेमा हॉल खुले थे और जमीनी रिपोर्ट के अनुसार, दिन के आखिरी शो के लिए भी फिल्में देखने आने वाले परिवारों के लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया भी मिली। सरकार के अनुसार, जनवरी 2022 से अब तक लगभग 1.62 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर गए हैं, जो स्वतंत्रता के 75 वर्षों में सबसे अधिक है। सूत्रों ने बताया कि चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं और अगले साल गर्मियों में चुनाव हो सकते हैं।