मंच से किस औरंगजेब का बार-बार जिक्र कर रहे उद्धव ठाकरे, भाजपा से निपटने का क्या है प्लान
मुंबई
महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना की पहचान हमेशा एक कट्टर हिंदूवादी राजनीतिक दल के रूप में रही है। मुगल शासक औरंगजेब का जिक्र करते हुए वह हमेशा मराठा अस्मिता और शिवाजी महाराज के दौर की याद दिलाती रही है। हालांकि इन दिनों शिवसेना का रुख थोड़ा बदला हुआ है। इन दिनों वह एक और औरंगजेब के बलिदान को याद कर रही है और माना जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय को लुभाने के लिए वह ऐसा प्रयास कर रही है। दशहरे की रैली में भी शिवाजी पार्क से उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रीय राइफल्स के जवान औरंगजेब का जिक्र किया। औरंगजेब को जुलाई 2018 में जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने किडनैप कर लिया था और उनकी हत्या कर दी थी।
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उनके बलिदान का जिक्र करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि औरंगजेब हमारे भाई थे, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए बलिदान दिया। दरअसल शिवसेना की पहचान भले ही आलोचकों के बीच सांप्रदायिक दल के तौर पर रही है, लेकिन बीते कुछ सालों में उसका रुख बदला है। खासतौर पर 2019 में महा विकास अघाड़ी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद से शिवसेना खुद को भाजपा के हिंदुत्व से अलग दिखाती रही है। वह नरम हिंदुत्व की बात करती रही है और उसी को ध्यान में रखते हुए उसने औरंगजेब को नायक के तौर पर पेश करने की कोशिश की है। यही नहीं अनौपचारिक सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि शिवसेना को लेकर मुस्लिमों का रुख अब बदला है।
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औरंगजेब का बार-बार जिक्र करके शिवसेना ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि उनसे उसकी कोई दुश्मनी नहीं है। यहां तक कि दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे ने साफ कहा कि हमारा हिंदुत्व भाजपा की तरह नहीं है। हमें औरंगजेब जैसे लोगों पर गर्व है। महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि शिवसेना चाहती है कि उसे हिंदुत्व से इतर भी कुछ वोट मिल सकें। इससे वह गैर-भाजपा मतदाताओं में पैठ बनाना चाहती है ताकि कमजोर पड़ी कांग्रेस का कुछ वोट हासिल हो सके। इससे वह भाजपा का मुकाबला करने की स्थिति में होगी, जो हिंदुत्व के मोर्चे पर उस पर पीछे हटने का आरोप लगाती रही है।