मोदी-शाह चालीसा, डुप्लीकेट शिवसेना… उद्धव गुट दशहरा रैली को लेकर शिंदे पर फिर बरसा
मुंबई
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की दशहरा रैली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समर्थित कार्यक्रम था। साथ ही, तंज भी कसा कि उन्होंने अपने भाषण के दौरान केवल 'मोदी-शाह चालीसा पढ़ी'। शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को डुप्लिकेट शिवसेना भी करार दिया। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में, पार्टी ने दावा किया कि शिंदे खेमे ने बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में आयोजित दशहरा रैली पर 50 करोड़ रुपये से 100 करोड़ रुपये खर्च किए होंगे, क्योंकि लगभग 2,000 बसों को फेरी लगाने के लिए बुक किया गया था। समर्थकों और कार्यक्रम में शामिल हुए दो लाख से अधिक लोगों को भोजन कराया गया।
'बीजेपी समर्थिक कार्यक्रम थी बीकेसी रैली'
संपादकीय में कहा गया, ''बीकेसी में रैली बीजेपी समर्थित कार्यक्रमों में से एक थी। खर्च की गई राशि का उपयोग कुछ विधायकों को खरीदने के लिए किया गया होगा। यह कार्यक्रम एक फैशन शो और एक सौंदर्य प्रतियोगिता की तरह था।" बता दें कि जब से शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायकों ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत की, उद्धव ठाकरे गुट उन्हें यह कहते हुए निशाना बना रहा है कि प्रत्येक बागी विधायक ने 50 'खोके' या पेटी ली, जिसका अर्थ वफादारी बदलने के लिए 50 करोड़ रुपये है।
'नकली शिवसेना के प्रमुख ने पढ़ी मोदी-शाह चालीसा'
संपादकीय में कहा गया कि रैली का आयोजन शिवसेना के नाम पर किया गया था, लेकिन यह बीजेपी का कार्यक्रम था। अपने भाषण में नकली शिवसेना के प्रमुख नेता (शिंदे) ने मोदी-शाह चालीसा को पढ़ा। दशहरा की शाम शिवसेना के दोनों धड़ों ने मेगा रैलियां की थीं। ठाकरे ने जहां दादर इलाके के शिवाजी पार्क में अपनी रैली को संबोधित किया, वहीं शिंदे ने बीकेसी में एक सभा को संबोधित किया। शिवसेना के 39 विधायकों, 12 सांसदों ने शिंदे के साथ गठबंधन किया है, साथ ही 10 निर्दलीय भी हैं। बुधवार को उद्धव ठाकरे के बड़े भाई जयदेव, पत्नी स्मिता और उनके भतीजे निहार ठाकरे मंच पर थे।
निहार दिवंगत बिंदुमाधव ठाकरे के पुत्र हैं। पार्टी ने कहा, "यह बीजेपी ही है जिसने पटकथा लिखी है। मुख्य भाषण का सार, संवाद, चरित्र इसके (भाजपा) द्वारा लिखे गए थे।" शिवसेना ने कहा कि शिंदे गुट ऐसा व्यवहार कर रहा था जैसे कि उसका बीजेपी में विलय हो गया हो और वहां समर्थकों के पास 'मोदी-शाह' का नारा लगाने की कमी थी।