26 जनवरी से पहले भोपाल वन विहार में जेब्रा-जिराफ के भी हो सकेंगे दीदार- मंत्री डॉ. विजय शाह
भोपाल
प्रदेश में पहली बार जेब्रा और जिराफ की झलक 3 महीने बाद देखने को मिल सकती है। वन मंत्री डॉ. विजय शाह का दावा है कि अफ्रीका से अगले साल 26 जनवरी से पहले जेब्रा और जिराफ को यहां बसाया जाएगा। वन विहार सबसे अनुकूल है। मैनेजमेंट ने इसका प्रस्ताव भी जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भेजा है। वहीं, प्रदेश के सभी नेशनल पार्कों में 1 जनवरी-23 से प्लास्टिक की बोतल और थैलियों पर बैन लगेगा।
वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि प्रदेश में अफ्रीका से चीता आने के बाद अब जेब्रा और जिराफ को भी 26 जनवरी 2023 के पहले वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बाद शेर, बाघ, भालू, लोमड़ी, तेंदुआ, हिरण, बारहसिंगा समेत अन्य जानवरों के साथ लोगों को जेब्रा और जिराफ के दीदार भी हो सकेंगे।
20 दिन पहले आ चुके 8 चीता
टाइगर और लेपर्ड स्टेट मध्यप्रदेश अब चीता स्टेट भी बन गया है। यहां नमीबिया से 8 चीतें आए हैं, जो कूनो नेशनल पार्क में है। PM नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर को पार्क में पिंजरे खोलकर चीता को बाड़े में छोड़ा था। देश में 70 साल बाद चीते कूनो में लाए गए हैं। इसके लिए पिछले 20 साल से प्रोसेस चल रही थी। इसके बाद यह देश का एकलौता ऐसा पहला प्रदेश बन गया है, जहां पर टाइगर, लेपर्ड और चीता तीनों है। फिलहाल चीते क्वारंटाइन हैं।
इसलिए बेहतर वन विहार
वन विहार देश का इकलौता ऐसा नेशनल पार्क है, जो किसी राजधानी के बीचों-बीच में है। 26 जनवरी 1983 को इसे नेशनल पार्क का दर्जा मिला था। वन विहार बड़े तालाब के पास पहाड़ी और आसपास के 445.21 हेक्टेयर क्षेत्र को मिलाकर बना है। हर साल यहां डेढ़ से दो लाख पर्यटक आते हैं। इसलिए जिराफ और जेब्रा के लिए इसे बेहतर माना जा रहा है। यही कारण है कि जू अथॉरिटी को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है।