पहला सुख निरोगी काया पर गोष्ठी संपन्न
संतुलित भोजन, नींद व प्रसन्नता स्वास्थ्य का आधार -योगाचार्य श्रुति सेतिया
धार
गाजियाबाद,शनिवार 8 अक्टूबर 2022,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "पहला सुख निरोगी काया" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह करोना काल में 453 वां वेबिनार था।
मुख्य वक्ता योगाचार्य श्रुति सेतिया ने कहा कि स्वस्थ शरीर होने पर ही व्यक्ति सारे कार्य कर पाता है अन्यथा यह शरीर बोझ लगने लगता है अतः व्यक्ति को पुरुषार्थ कर स्वस्थ रहना चाहिए तभी वह जीवन का आनंद ले सकता है।उन्होंने कहा कि निरोगी काया के लिए तीन चीजें बहुत महत्वपूर्ण है– संतुलित भोजन, नींद और मानसिक प्रसन्नता। संतुलित भोजन का अर्थ है वह भोजन जिससे हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हो सके।निरोगी काया से ही व्यक्ति का सर्वागीण विकास संभव है।आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में व्यक्ति किसी एक क्षेत्र में तो सफलता अर्जित कर लेता है परंतु अन्य पक्षों को नकार देता है।इस विकास को सर्वागीण विकास नहीं कहा जा सकता।सर्वांगीण विकास का अर्थ है व्यक्ति का शारीरिक,मानसिक,सामाजिक व आध्यात्मिक विकास होना।इन गुणों को विकसित करने में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहायक सिद्ध होती हैं।प्रकृति रोग के रूप में दण्ड देती अवश्य है,परन्तु वह पहले चेतावनी देकर रोग मुक्ति का अवसर भी हमें प्रदान करती है।स्वस्थ बने रहने के लिए जिन मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है यह मात्र पांच है।इन्हें निरोगिता के पंचशील कह सकते हैं।
पहला– सात्विक भोजन, दूसरा– उपयुक्त जीवन शैली , तीसरा– समय पर गहरी नींद, चौथा– स्वच्छता,पांचवा– मन को हल्का रखना।इन 5 नियमों के पालन करने से स्वास्थ्य अक्षुण बना रहता है।यदि किसी कारणवश बिगड़ गया तो भूल सुधार लेने से प्रकृति क्षमा कर देती है और खोया हुआ स्वास्थ्य फिर वापस लौटा देती है।सात्विक भोजन से तात्पर्य बिना भूख के कभी ना खाना।जो पच सके वह अमृत और जो बिना पचे पेट में पड़ा रहे वह विष होता है।खाद्य पदार्थ चबा चबाकर खाना चाहिए।खाद्य पदार्थ जीवित हो, अर्थात उसे भुना तला ना गया हो, अंकुरित हो।खाने के बाद पचाने के लिए श्रम की आवश्यकता है। शारीरिक श्रम नियमित रूप से किया जाए।व्यायाम, प्राणायाम,तेज टहलना और तेल मालिश ऐसे कई तरीके हैं जिससे शरीर के अंग अवयवों को पसीना निकाल देने वाला श्रम करने का अवसर मिल सके।इसके अतिरिक्त पूरी समय नींद लेने की आवश्यकता पूरी करनी चाहिए। इसके लिए ऐसा कार्यक्रम बनाना चाहिए जिससे जल्दी सोना और जल्दी उठने का क्रम सतत्तः बना रहे।स्वास्थ्य को बिगड़ने का कारण गंदगी भी है। स्वस्थ रहने के लिए घर यथासंभव ऐसे होने चाहिए जिनमें धूप और हवा का आगमन होता रहे।स्वास्थ्य रक्षा का पांचवा आधार है विचार तंत्र।
मस्तिष्क पर कुविचारों का अनावश्यक तनाव नहीं पड़ने देना चाहिए।प्रसन्न रहने की आदत होनी चाहिए।प्रसन्न रहने की आदत ना केवल स्वभाव को लोकप्रिय बनाती है वरन स्वास्थ्य को भी सुस्थिर सुदृढ़ बनाए रहती है।मौत ओर बुढ़ापा तो स्वाभाविक है,पर बीमारी अस्वाभाविक है।यह तो प्रकृति के अनुशासन की अवज्ञा करने का दंड है।दंड का भाजन उसी को बनना पड़ेगा जो लापरवाही करेगा। यदि हम सही रास्ते पर चलें तो निश्चय ही निरोगी और दीर्घजीवी बनकर वो सब कुछ कर सकते हैं जिसके लिए इस धरती पर आए हैं।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर ही जीवन का आधार है।सभी सुखों का आनंद स्वस्थ शरीर से ही लिया जा सकता है। मुख्य अतिथि प्रतिभा कटारिया व अध्यक्ष योगाचार्या रजनी चुघ ने भी स्वस्थ रहने के उपाय बताये। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि करो योग रहो निरोग।
गायक रविन्द्र गुप्ता,प्रवीना ठक्कर,पिंकी आर्य,कौशल्या अरोड़ा,सुनीता अरोड़ा, रचना वर्मा, ईश्वर देवी,जनक आरोड़ा, कमला हंस,कमलेश चांदना,बिंदु मदान,राज अरोड़ा आदि के मधुर भजन हुए।