September 27, 2024

गरीब देशों पर कब्जा करने के लिए चीन ने बढ़ाया दूसरा कदम, कर्ज कलेक्टर को कैसे रोकेगा अमेरिका?

0

चीन

दुनिया में अपनी बादशाहत जमाने के लिए चीन ने पिछले कुछ सालों में बेतहाशा लोन बाटे हैं और चीन के निशाने पर खासकर छोटे देश रहे है, जिन्हें वो आसानी से काबू में कर ले। और अब चीन ने अपने प्लान पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। चीन अब छोटे छोटे देशों की राजनीति से लेकर उसके हर सिस्टम पर कब्जा करने के लिए अपना दूसरा कदम आगे बढ़ा चुका है। लेकन, अंतर्राष्ट्रीय कर्ज कलेक्टर चीन अब खुद फंसा हुआ नजर आ रहा है, जिसका खामियाजा अब छोटे और गरीब देशों को गंभीरता से चुकाना होगा।
 
चीन ने बांटे बेतहाशा लोन
पिछले एक दशक में बीजिंग कई देशों के लिए पसंदीदा ऋणदाता रहा है। इसने छोटे और गरीब देशों को बुलेट ट्रेन, जलविद्युत बांध, हवाई अड्डे और सुपर हाइवे बनाने के लिए बड़े पैमाने पर लोन बांटे। चीन ने उन गरीब देशों को भी बुलेट ट्रेन के लिए लोन दिया, जिन्हें बुलेट ट्रेन की कोई जरूरत ही नहीं थी, लिहाजा जिन देशों ने भी चीन से लोन लिए, वो अब इस हैसियत में ही नहीं हैं, कि चीनी लोन लौटा सकें। लेकिन, कोविड संकट और यूक्रेन युद्ध के बाद जैसे ही दुनिया मुद्रास्फीति से परेशान हुईं और उनकी अर्थव्यवस्था कमजोर होने लगीं, चीन ने अपने आपको काफी असहज स्थिति में पाया है, क्योंकि ये देश अब चीन को कर्ज वापस लौटाने की स्थिति में नहीं हैं।
 
कर्ज कलेक्टर का हुआ बुरा हाल
सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड (एसएमएच) में लिए गये एक लेख में कीथ ब्रैडशर ने कहा कि, चीन कई देशों के वित्तीय वायदा पर महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है और चीन ने इतना ज्यादा कर्ज बांट रखा है, जिसे ये गरीब देश कभी भी चुका नहीं पाएंगें, अंतर्राष्ट्रीय कर्ज कलेक्टर चीन अब उन देशों से किसी भी तरह से लोन उगाही करना चाहता है। इतना ही नहीं, चीन के प्रोजेक्ट्स भी फेल हो चुका हैं। यानि, साफ है, कि चीन अब उन देशों को हड़पने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम को अपने कब्जे में लेने की कोशिश शुरू कर दी है और इसके लिए चीनी स्टेट बैंक ने सूरीनाम के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है और उसका सारा पैसा जब्त कर लिया है। एसएमएच रिपोर्ट में कहा गया है कि, जब केन्या और अंगोलिया में अगस्त महीने में चुनाव होने वाले थे, उस वक्त इन देशों का प्रमुख चुनावी मुद्दा ये था, कि आखिर कैसे चीनी कर्ज को चुकाया जाए और बेतहाशा चीनी कर्ज क्यों लिया, इस बात को लेकर इन देशों में काफी झंझट हुआ है।
 
महामारी से स्थिति और बिगड़ी
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद उच्च खाद्य और ऊर्जा की कीमतों के साथ-साथ महामारी के प्रभाव को देखते हुए गरीब देशों में आर्थिक संकट स्पष्ट हैं और ऐसे मौके पर भी कई देशों ने चीन से भारी कर्ज लिया है। पाकिस्तान में कुल सार्वजनिक ऋण पिछले एक दशक में दोगुना से ज्यादा हो गया है और पाकिस्तान अभी भी चीनी कर्ज लेने में कोई परहेज नहीं कर रहा है। वहीं, केन्या ने सार्वजनिक ऋण से नौ गुना ज्यादा तो सूरीनाम ने दस गुना ज्यादा चीनी लोन ले रखा है और इन देशों की जो आर्थिक स्थिति है, उसे देखते हुए उनके लिए कर्ज चुकाना असंभव है। चीन के ऋणों की प्रकृति चुनौतियों को बढ़ा रही है। चीन गरीब देशों को झांसा दिया, कि वो एडजेस्टेबल रेट पर उन्हें कर्ज देगा और झूठ बोलकर उसने पश्चिमी देशों और आईएमएफ की तुलना में काफी ज्यादा कर्ज बांटे, लेकिन जब वैश्विक ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने लगी, तो ये देश बुरी तरह से प्रभावित होने लगे, क्योंकि चीन ने कर्ज का ब्याज बढ़ा दिया, जबकि ये देश कम से कम भुगतान करने में भी सक्षम नहीं हैं।
 
किसी भी तरह के छूट देने से इनकार
इसी साल जनवरी महीने में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने चीन से कर्ज स्ट्रक्चर में राहत देने की अपील की थी, जिसे चीन ने ठुकरा दिया था। वहीं, बीजिंग में शक्तिशाली सरकारी मंत्रालयों के बीच नौकरशाही युद्ध ने पहले ही कर्ज की समस्या के किसी भी आसान समाधान को रोक दिया है और इसमें और देरी करने की धमकी दी है। एसएमएच की रिपोर्ट के अनुसार, अब चीन भी समझ रहा है, उसका कर्ज अब वापस आने वाला नहीं है, लिहाजा माना जा रहा है, कि ऋण मुद्दों को हल करने की प्रक्रिया को चीन फिर से शुरू करेगा। हालांकि, ये कैसे संभव हो पाएगा, ये अभी स्पष्ट नहीं हैं। इसके साथ ही किसी देश को उपनिवेश बनाना आज के युग में काफी मुश्किल है और सबसे जरूरी बात ये है, कि छोटे देश तो पहले से ही बर्बाद हो रहे हैं, लेकिन इसका असर चीन पर भी काफी खतरनाक होगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *